शिक्षा का महत्व

प्राचीन समय से ही भारत-वर्ष में शिक्षा का बड़ा महत्व रहा है।  कई गुरुकुल विश्व प्रसिद्ध थे - जैसे - तक्षशिला, नालंदा आदि।  कुछ लोगों का मानना है की बालिकाओं के लिए शिक्षा की व्यवस्था नहीं थी परन्तु इस बात को ऐसे ही स्वीकार नहीं किया सकता।  हाँ, बालिका शिक्षा के केंद्र कम रहे होंगे पर बिल्कुल ही नहीं थे ऐसा नहीं कहा जा सकता।  कई ऐसे उदाहरण देखने को मिलते है जहाँ महिलाओं ने अपनी योग्यता प्रदर्शित की, चाहे वह रण भूमि हो या शास्त्रार्थ स्थल। ये विषय कुछ अलग है कि व्यक्ति के जीवन में शिक्षा का क्या महत्व है।  शिक्षा से व्यक्ति योग्य बनता है, समाज में सम्मान पाता है।  अपने जीवन के लिए नौकरी-पेशा तो प्राप्त करता ही है।  इतना कुछ होने पर भी कुछ लोग शिक्षा से विमुख रहते हैं।  इसके कई कारण हो सकते हैं जैसे- गरीबी अथवा उनके माता-पिता का अनपढ़ रहना या अन्य कोई।

शिक्षा से व्यक्ति का जीवन बदल जाता है तथा अपने परिवार का भी जीवन बदल देता है।  आजकल शिक्षा के मार्ग सभी के लिए है और आसान भी है।  वैसे तो प्रथम पाठशाला परिवार ही कहा जाता है जहाँ बालक व्यवहारिक ज्ञान के साथ संस्कार भी सिखता है।  परन्तु स्कूल की शिक्षा बालक का सर्वांगिण विकास करती है।  मानसिक, शारीरिक, नैतिक तथा व्यक्तित्व के विकास के लिए विद्यालय की शिक्षा आवश्यक है।  रोजगार के साथ शिक्षा से बालक को बुरी परिस्थितियों से सामना करना  भी सिखाया जाता है।  अन्य कई कौशल वह स्वतः ही सीख लेता है। अच्छी शिक्षा प्राप्त कर कृषि या अपने किसी पारम्परिक पेशे में उचित बदलाव ला सकता है। उचित ही लिखा गया है कि-
चोर हार्यं राज्य हार्यं  भातृ भाज्यं भारकारि
व्यये कृते वर्धतः एव नित्यं विद्या धनं सर्व धन प्रधानं।

प्राप्त की गई शिक्षा अर्थात विद्या कभी कोई चुरा नहीं सकता, राजा कर के रूप में नहीं ले सकता, भाई पिता की संपत्ति की तरह बाँट नहीं सकते, ऐसा विद्या धन है जो खर्च करने पर केवल बढ़ता ही जाता है।  

यदि कुछ पिछड़े राज्यों की तरफ निगाह डाले तो जानकर आश्चर्य होगा कि वहाँ के पिछड़ेपन, बेरोजगारी, जनसंख्या वृद्धि आदि का मूल कारण अशिक्षा ही है।  शिक्षा के अभाव में स्वयं का तो पतन होता ही है साथ ही साथ वह अपने राज्य-राष्ट्र की गरीमा को भी कलंकित करता है।  वर्तमान में शिक्षा की राह आसान हुई है - राज्य सरकारें उच्च-प्राथमिक स्तर तक सभी के लिए पुस्तकों के साथ पोषाहार की व्यवस्था कर रही है, विभिन्न स्तर पर छात्रवृत्तियाँ प्रदान की जा रही है, उच्च शिक्षा के लिए ऋण उपलब्ध करवाये जा रहे है, दूरस्थ शिक्षा भी एक नवीन  घटक के रूप में प्रकट हुआ है।  इन में से किसी भी योजना का लाभ उठाकर बालक को शिक्षित करना चाहिए। शिक्षा का महत्व संस्कृत के इस श्लोक में बखूबी वर्णित है -
विद्या ददाति विनयं विनयाद याति पात्रतां
पात्र त्वाद धनमाप्नोति धनाद धर्मः ततः सुखं।
कृष्ण गोपाल
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