अध्ययन के लिए पहली सीढी है- वाचन ।
हर छात्र अगर प्रत्येक दिन नियमित रूप से वाचन करे तो अपनी जानकारी को बहुत अधिक बढ़ा सकता है।
वाचन से न केवल जानकारी को बढ़ाया जा सकता है, बल्कि छात्र के अन्दर सकारात्मक सोच, रीति-रिवाजों के प्रति प्रेम की भावना भी उत्पन्न होती है।
इसके लिए जरूरी नहीं उच्च लेवल की पुस्तकों का चयन करें वह अपनी रुचि के अनुसार भी चयन कर सकता है।
वाचन दो प्रकार से किया जा सकता है ।
वाचन अगर छोटे बच्चों के लिए किया जा रहा है तो चित्र, साउंड आदि से उनमें रुचि लायी जा सकती है व उनके अनुसार गतिविधियाँ भी करायी जा सकती है।
विद्यालय में छात्रों में वाचन की रुचि उत्पन्न करने के लिए एक अच्छा पुस्तकालय का होना अत्यावश्यक है साथ ही पुस्तकालय अध्यापक की पुस्तकों के प्रति जानकारी भी अत्यावश्यक है ताकि वह छात्रों की उनकी रूचि के अनुसार पुस्तकें खोजने में मदद कर सके।
पुस्तकें चरित्र निर्माण का सर्वोत्तम साधन है।
वाचन, ज्ञान अर्जित करने के अतिरिक्त मनोरंजन के लिए भी किया जाता है। इससें मन व मस्तिष्क स्वस्थ रहता है ।वाचन से सोचने समझने की क्षमता भी बढती है ।
वाचन, ज्ञान अर्जित करने के अतिरिक्त मनोरंजन के लिए भी किया जाता है। इससें मन व मस्तिष्क स्वस्थ रहता है ।वाचन से सोचने समझने की क्षमता भी बढती है ।
जीवन में सफलता पाने के लिए नियमित रूप से वाचन करना अत्यावश्यक है।
Kusum Dangi, The Fabindia School
kdi4fab@gmail.com