Krishan Gopal: क्या विद्यालय रचनात्मकता को समाप्त करता है ?

विद्यालय रचनात्मकता को प्रोत्साहित करता है। बालक अपनी योग्यता का प्रदर्शन स्कूल में ही करता है। यदि गहराई से देखें तो स्कूल रचनात्मकता को प्रोत्साहित करता है। बालक को अपने हुनर का प्रदर्शन करना होता है । इसके लिए स्कूल एक उचित स्थान है | चाहे आगे चलकर अपनी योग्यता या रचनात्मकता के बूते कामयाब हो जाये | आजकल तो गतिविधि शिक्षण ने बालकों की रचनात्मकता को और भी अधिक निखारा है।

लेखन, चित्र बनाने या कला-उद्योग में अपनी रचनात्मकता का प्रयोग कर सकते है| हर सिक्के के दो पहलू होते है यदि स्कूल रचनात्मकता को बढ़ावा देता है तो संभव है कहीं पर इसमें रुकावभी बनता हो।मेरी दृष्टि में ऐसा तभी संभव है जब शिक्षण का तरीका पारंपरिक हो । यदि आधुनिक तकनीक का प्रयोग करें तो संभव है कि रचनात्मकता अधिक प्रभावी होगी तथा मौलिक होग| देखकर सीखने की क्रिया बालकों में अधिक होती है |

कोई अपने कार्य में रचनात्मकता का प्रयोग करता है उसे प्रशंसा मिलते हुए देखते है तो अन्य बालक भी प्रभावित हुए बिना नहीं रह सकते। एक दूसरे को देखकर सीखना ये गुण स्कूल में ही पनप सकता है। ये अवश्य है कि रचनात्मकता समय लेती है। कभी-कभी व्यक्ति को नकारा भी कह दिया जाता है, असफलता से हतोत्साहित भी हो सकते है, हो सकता है ये मार्ग भी छोड़ दे। इसलिये स्कूल को चाहिए कि ऐसे बालक को उचित अवसर प्रदान करें। असफल होने पर पुनः प्रयास हेतु मार्गदर्शन करें, हतोत्साहित न होने दें।

शिक्षण संस्थाएँ तय करें कि पारंपरिक शिक्षण युक्तियाँ न अपना कर आधुनिकता की ओर अग्रसर हो। नवीन कार्यों के लिए वातावरण मिले तथा उचित मार्गदर्शन भी मिले। यदि ये संभव न हो सकेगा तो रचनात्मकता अवश्य प्रभावित होगी और बालक भी इस मार्ग से मुँह मोड़ लेगा । इस प्रकार बालक की रचनात्मकता समाप्त हो जाएगी। ये स्कूल और वहाँ के शिक्षक ही तय कर सकते हैं कि रचनात्मकता को बढ़ावा देना है या समाप्त करना है

Krishan Gopal
kde4fab@gmail.com

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