"शासन संचालन का है विज्ञान,
सबसे प्यारा हमारा संविधान।
भारतीय संविधान के रचनाकार,
बाबासाहेब की हो जय जयकार।
संविधान हिन्दुस्तान की जान है।"
दबाव से निपटने से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमारी जीवनशैली में दबाव का होना बहुत ज़रूरी है। लेकिन हमें दबाव को अपने ऊपर हावी नहीं होने देना चाहिए। जीवन में दबाव तब ज़्यादा बढ़ता है, जब हम अपने काम को समय से नहीं करते और सोचते हैं, "आज नहीं, कल," और वह कल दबाव में बदल जाता है। इसलिए हमें अपने काम को समय पर करके लेना चाहिए, जिससे दबाव हमारे ऊपर हावी न हो, क्योंकि अगर ऐसा होता है, तो हम अपने लक्ष्य से पीछे हटते चले जाएंगे। अगर हम मेहनत और लगन से अपने कार्य को करते हैं, तो हम अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं। "क्योंकि मेहनत करने वालों की कभी हार नहीं होती।"
जैसे पाठ के माध्यम से भी बताया गया है, एक बार मुझे एक न्यूरोसर्जन से मिलने का मौका मिला, जो दबाव का सामना अच्छे से करते हैं। हम योजना बनाने में चाहे कितने भी हो, लेकिन दबाव कभी नहीं जाता। दबाव जीवन का अभिन्न अंग होता है। प्रत्येक व्यक्ति दैनिक जीवन में लगभग असंख्य चुनौतियों का सामना करता है, जो व्यक्ति में अपने सामर्थ्य अनुसार दबाव की अनुभूति को प्रेरित करती है। व्यक्ति को सार्थक और गुणवत्तापूर्ण जीवन जीने के लिए इन चुनौतियों से निपटने की जरूरत होती है।
दबाव से निपटने (coping) का मतलब होता है दबाव पर नियंत्रण करना, उसे कम करना, या फिर उसे सहन करने के लिए अपने मानसिक संसाधनों को जागरूकता के साथ जैसे स्वयं के लिए प्रयोग करना, और व्यक्तिगत और पारस्परिक समस्याओं का समाधान योजना।
क्योंकि अमृता हमारे स्कूल में ऐसी बच्ची है, जिसे बहुत कुछ पढ़ना आता है, पर वह अपने माता-पिता को नहीं बता पाती। लेकिन जब स्कूल में उसके माता-पिता यह शिकायत लेकर आते हैं, तो वह उनके सामने कुछ ही बता पाती है, लेकिन लिखकर सब देती है। जो उससे बोलते हैं।
दबाव से निपटने के लिए:
"भरपूर दबाव पड़ने पर भी,
कभी अनुचित काम न करें।
जिस कार्य को करने के लिए
आपका मन गवाही न दे, उसे किसी आदरणीय व्यक्ति के
कहने पर भी न करें।"
रीना

पाठ दबाव से निपटना से मुझे यह सीखने को मिला कि ज़िंदगी में दबाव होना ज़रूरी है, पर वह दबाव जो हमें मंज़िल की ओर लेकर जाए, हमें ज़िंदगी में कुछ नया सिखा कर जाए — वह दबाव ज़िंदगी में होना ज़रूरी है।
जैसे न्यूरोसर्जन डॉ. बेन कार्सन से पूछा गया कि आप दबाव का सामना कैसे करते हैं, तो उन्होंने जवाब दिया —
"आप दबाव से युद्ध मत कीजिए, बल्कि दबाव को ही बदल दीजिए। उसको बेहतरीन प्रेरणा में ले जाइए, ताकि आपको वह दबाव न लगे, बल्कि वह आपको अच्छी राह दिखाए।"
ऐसा नहीं है कि ज़िंदगी में हमें ही दबाव है, बल्कि हर व्यक्ति दबाव में होता है। पर अगर हम सोच के ही हार मान लें कि हमारे ऊपर दबाव है, तो हम पहले ही हार जाते हैं। मगर अगर हम यह सोचें कि यह दबाव हमें हमारी मंज़िल की ओर लेकर जाएगा, तो ज़िंदगी में यह दबाव होना ज़रूरी है।
कुछ-कुछ दबाव ज़िंदगी में ऐसे भी होते हैं जो हमें हमारे ऊपर 'दबाव' ही लगते हैं। तो ऐसे दबाव में हमें नहीं रहना चाहिए।
साक्षी खन्ना
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बहुत ज़्यादा दबाव पड़ने पर भी कभी अनुचित काम न करें। जिस काम को करने के लिए आपका मन गवाही न दे, उसे किसी आदरणीय व्यक्ति के कहने पर भी न करें।
पाठ 'दबाव से निपटना' से हमने सीखा कि हम सभी के जीवन में अलग-अलग तरह के दबाव होते हैं। इनमें से कुछ दबावों का हमारे जीवन पर अच्छा प्रभाव पड़ता है, तो कुछ का गलत प्रभाव, जो हमारे जीवन को पूरी तरह से बदल सकता है।
परंतु अगर हम दबाव की स्थिति में भी शालीनता बनाए रखने का साहस रखते हैं, तो कहीं न कहीं हमारी ज़िंदगी भी बदल सकती है और हमें एक सही दिशा या मंज़िल मिल सकती है।
"दबाव हद से ज़्यादा बढ़ जाए तो दो ही चीज़ें होती हैं — या तो हम टूटकर बिखर जाते हैं, या भयंकर दबाव को तोड़ने की ऐसी ताक़त हासिल कर लेते हैं, जो कि अब तक हम में थी ही नहीं।"
स्वाति
"होके मायूस ना, यूं शाम की तरह ढलते रहिए,
ज़िंदगी एक भोर है, सूरज की तरह निकलते रहिए।"
पाठ "दबाव से निपटना" से बहुत कुछ सीखने को मिलता है। और जैसे कि पाठ में कई किस्से सुनने को मिले हैं, ठीक उसी प्रकार सबके जीवन में दबाव होता है। स्कूल में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं पर अपने माता-पिता का दबाव या फिर अध्यापकों का भी हो सकता है। आजकल हर माता-पिता चाहते हैं कि उनका बच्चा पढ़ाई-लिखाई और हर गतिविधि में आगे हो। और माता-पिता की ये शिकायतें अध्यापकों से भी करते हैं कि हमारा बच्चा कक्षा में, स्कूल में सबसे होशियार होना चाहिए।
इस प्रकार, अगर उनके पड़ोसी का बच्चा अपनी कक्षा में प्रथम आ जाए, तो वे अपने बच्चे को डांटते-धमकाते हैं, प्रथम आने वाले बच्चे से उसकी तुलना करते हैं। जिससे कभी-कभी बच्चे का मनोबल कम होने लगता है, और उसके मन में नकारात्मक विचार आने लगते हैं।
तथा इस पाठ में बताया गया है कि हमारे सामने अनेकों चुनौतियां और काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। और इन चुनौतियों और कठिनाइयों पर हमें किस प्रकार विजय प्राप्त करनी है। जैसे कि पाठ में एक पंक्ति लिखी हुई है, "मज़बूत बनो, दबाव में आकर काम मत करो, दबाव पर काम करो।"
जीवन आनंद लेने के लिए है, सहने के लिए नहीं।
साक्षी पाल
"कोई भी मुश्किल थका नहीं सकती,
रास्ते की रुकावट गिरा नहीं सकती,
अगर जूनून है जितने का, तो हार भी हरा नहीं सकती।"
दबाव से निपटना — ऐसे तो हर इंसान के जीवन में दबाव होते हैं, और उनका होना भी बहुत ज़रूरी है, क्योंकि अगर किसी के जीवन में दबाव न हो, तो फिर किसी का भी कोई लक्ष्य नहीं होगा। क्योंकि अगर हमारे सामने किसी भी क्षेत्र में कोई दबाव हो, तो हम अपने लक्ष्य की प्राप्ति करने की पूरी कोशिश करते हैं और उसे प्राप्त भी कर लेते हैं।
मुझे इस पाठ में न्यूरोसर्जन डॉ. बेन कार्सन की यह लाइन बहुत अच्छी लगी, जब उनसे पूछा गया कि दबाव का सामना आप कैसे करते हैं, तो उन्होंने जो जवाब दिया:
"आप योजना बनाने में चाहे कितने ही अच्छे हों, लेकिन दबाव कभी नहीं जाता। इसलिए उससे युद्ध मत करो, मैं तो बेहतरीन प्रदर्शन के लिए दबाव को प्रेरणा में बदल देता हूं।"
तो मैं भी यही चाहती हूँ कि मैं अपने बच्चों को बहुत अच्छे से समझा पाऊं, जिससे उन्हें स्कूल आना और पढ़ना किसी भी प्रकार से दबाव न लगे, बल्कि वे इंतजार करें कि कब रात बीते और कब सुबह हो और हम स्कूल जाएं। एक नई उमंग के साथ हर उस चुनौती का सामना करें जो उनके जीवन में आए, चाहे वो पढ़ाई हो या फिर किसी खेल में भाग लेना हो। जो भी कला उनके अंदर छिपी हो, उसका ऐसा प्रदर्शन करें कि हर दबाव से आगे निकल जाएं और हर दबाव को चुनौती दें कि हम इन सबके लिए पहले से तैयार हैं।
ललिता पाल
"सीखने का जुनून पैदा करो, अगर आप ऐसा करते हैं, तो आपकी सफलता निश्चित है।"
मैं सिमरन, आर्थर फुट एकेडमी की अध्यापिका हूं।
मैंने साहस पाठ से यही सिखा कि अगर जिंदगी में एक बार कामयाबी नहीं मिली, तो बार-बार उसी कार्य को करना चाहिए।
वह कार्य कितना भी कठिन क्यों न हो, अगर हमारे अंदर साहस और हिम्मत है, तो हम उसे जरूर कर सकते हैं।
जैसे मैं अंग्रेजी बोलने और पढ़ने में कमजोर हूं, तो मैं अंग्रेजी बोलना और पढ़ना जरूर सीखूंगी।
अगर मैं सीखने का साहस करूंगी, तो जरूर सीख जाऊंगी और बच्चों को भी सीख दूंगी।
ज़िंदगी में कैसी भी परिस्थितियाँ क्यों न आ जाएं, मैं उनका सामना करने का साहस और हिम्मत जरूर रखूंगी।
सिमरन कौर
हमें दबाव से निपटने के उपाय ढूंढ़ने चाहिए, जैसा कि बच्चों पर बहुत दबाव होता है। उन्हें अपने माता-पिता, दादा-दादी और स्कूल का दबाव भी होता है। उन्हें परीक्षा में उत्तीर्ण होने का दबाव होता है और वह दबाव के कारण अपनी पढ़ाई पर ध्यान नहीं दे पाते हैं। इस कारण बच्चों के परीक्षा में अंक कम आते हैं और उस पर माता-पिता का भी अधिक दबाव पड़ जाता है।
हाल ही में मैंने देखा कि 14 साल के बच्चे का वजन 4 महीने में 10 किलो कम हो गया। इस तरह वजन घटना कहीं बीमारियों का संकेत हो सकता है। बच्चे की डॉक्टर से जांच भी कराई गई और पता चला कि बच्चे को किसी बात का दबाव था। उस बच्चे से पूछने पर पता चला कि उसके स्कूल में कुछ बच्चे उसके मोटापे पर उसका मजाक उड़ाते थे और उसने यह बात दिल पर ले ली। इस कारण उस बच्चे ने खाना-पीना भी छोड़ दिया, जिस कारण वह बहुत कमजोर हो गया और उस पर इस बात का बहुत दबाव पड़ा। उस बच्चे को डॉक्टर से दवाई चलाई गई, जिस कारण वह कुछ महीनों के बाद ठीक से खाना-पीना शुरू कर दिया।
रूबल कौर