आओ बोझ कुछ कम करदे,
नन्हे कन्धों को यों हल्का कर दे।
थोड़ा पढ़ाये, थोड़ा लिखायें
थोड़ा खेल-खेल में सिखायें।
चलो विद्या को रोचक कर दें,
आओ बोझ कुछ.............
न इनका बचपन खोने पाये,
न एक भी बच्चा रोने पाये।
कुछ हम बदले,कुछ इन्हें बदल दे,
आओ बोझ कुछ............
सुंदर बनाये ये पाठशाला,
शिक्षा की बहे अविरल धारा।
शांति,प्रेम और अनुशासन,
चलो इसको एक मन्दिर कर दे
आओ बोझ कुछ...............
ये भविष्य के कर्णधार हैं,
नव भारत की ये पुकार हैं।
ये गुरुकुल है एक साँचा,
चलो सुंदर विधार्थी गढ़ दे।
आओ बोझ कुछ कम कर दें
नन्हे कन्धों को यों हल्का कर दें।।
--पूर्ति वैभव खरे--
DBN Amarvilla School, Jammu