Monday, April 14, 2025

दबाव से निपटाना - सनबीम ग्रामीण स्कूल करसड़ा वाराणसी


दबाव से निपटाना कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि 
1. समय बिताना : बच्चों के साथ समय बिताएं और उनके साथ बात करें।
2. सुनना: बच्चों की बात सुनें और उनके भावनाओं को समझें।
3. सहायता: बच्चों को सहायता दें और उनके साथ सहायता करें।
4. आत्मविश्वास: बच्चों को आत्मविश्वास दिलाएं और उन्हें अपने आप पर विश्वास करने दें।
5. खेलना: बच्चों के साथ खेलें और उन्हें खेलने का मौका दें।
6. प्रशंसा: बच्चों की प्रशंसा करें और उन्हें प्रशंसा दें।
7. शिक्षा: बच्चों को शिक्षा दें और उन्हें सही रास्ते पर चलने का मौका दें।
ममता देवी
सनबीम ग्रामीण स्कूल करसड़ा वाराणसी

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आज के विषय 'दबाव से निपटने' का निष्कर्ष यह है कि:
सपने तो हर कोई देखता है। लेकिन केवल सपने देखने से कुछ नहीं होता, उन्हें पूरा करने के लिए कोशिश भी करनी चाहिए। इस रास्ते में कई बार दबाव आता है, लेकिन हमें ऐसा कोई काम दबाव में आकर नहीं करना चाहिए। जहां तक बच्चों की बात है, यदि वे किसी मानसिक या शैक्षणिक दबाव में हैं, तो उन्हें समझना और उनसे संवाद करना बहुत जरूरी है। उनकी तुलना किसी और से न करें, बल्कि उन्हें प्रोत्साहित करें। रोज़ाना उनके साथ समय बिताएं—
चाहे वह खेल हो, बातचीत हो या मनोरंजन के अन्य साधन। ऐसा करने से वे न केवल तनाव से बाहर आएंगे, बल्कि आत्मविश्वासी भी बनेंगे। शिक्षकों और माता - पिता दोनों के लिए यह ज़रूरी है कि वे खुद भी सहज और सकारात्मक बने रहें, ताकि बच्चों को एक ऐसा वातावरण मिल सके जहाँ वे बिना दबाव के, खुलकर सीख सकें और आगे बढ़ सकें। इन्हीं तरीकों से हम न केवल खुद को, बल्कि बच्चों को भी दबाव से बाहर निकालने में सफल हो सकते हैं।
रवि प्रकाश

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इस कहानी से बच्चों को स्कूल में जीवन को मानसिक दबाव तथा बोरियत की जगह खुशी का अनुभव कर सकते हैं । कोई भी कार्य कठिन ना होने का मतलब समझा कर किसी उदाहरण से बच्चों का मनोबल बड़ा कर हम बच्चों को सीखने की प्रक्रिया में पूरा भागीदार बनाएं जीवन को मानसिक दबाव सोच विचार और छोटे समूह मैं बच्चों से बातचीत और हाथ से की जाने वाली गतिविधियों को प्राथमिकता देनी चाहिए मेरे विद्यालय का नाम सनबीम ग्रामीण स्कूल है मेरा नाम सुनीता त्रिपाठी है।
Sunita Tripathi
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बच्चों का दबाव मुक्त जीवन-
जैसा की आज की कहानी में मिस्टर बेन की जिंदगी में हमने देखा कैसे वो Nakaratmakt se sakaratmak की ओर बढे ,एक शिक्षक बच्चों को दबाव से मुक्त और दैनिक जीवन से जुड़े तरीके से सिखाने के लिए निम्नलिखित तरीकों का उपयोग कर सकता है।
बच्चों को दबाव से मुक्त सिखाने के तरीके:
1. खेल और गतिविधियों का उपयोग -खेल और गतिविधियों का उपयोग करके बच्चों को सिखाना
2. उदाहरण पेश करना- बच्चों के सामने अच्छी बातचीत का उदाहरण पेश करें और उन्हें दिखाएं कि कैसे बातचीत की जाती है।
3. सुनने और समझने का समय देंना- बच्चों को अपनी बात कहने का समय दें और उनकी बातों को ध्यान से सुनें।
4. सकारात्मक वातावरण बनाना -बच्चों के लिए सकारात्मक वातावरण बनाएं जिसमें वे सीखने में आनंद लें।

शिक्षक की भूमिका
1. मार्गदर्शक -बच्चों के लिए मार्गदर्शक बनें और उन्हें सही दिशा में ले जाएं।
2. प्रोत्साहन देंना -बच्चों को उनकी कोशिशों के लिए प्रोत्साहन दें।
3. सकारात्मक वातावरण - बच्चों के लिए सकारात्मक वातावरण बनाएं जिसमें वे सीखने में आनंद लें।
4. व्यक्तिगत ध्यान देंना- बच्चों को व्यक्तिगत ध्यान दें और उनकी जरूरतों को समझें।
5. नियमित प्रगति की जांच -बच्चों की प्रगति की जांच करें और उन्हें आवश्यकतानुसार सहायता प्रदान करें।
                                                                     इस तरह से एक शिक्षक के तौर पर हम एक सुदृढ़  कल का निर्माण कर सकते हैं और अपने देश को एक नई उन्नति पर ले जा सकते हैं ।
Swati Tripathi
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बच्चों में नाना प्रकार के दबाव होते हैं, यह हम जानते हैं । इस सेशन में हमें यह सीख मिली कि हम कैसे दूर करें।
१. समस्या हर बच्चों के साथ होती है, यह एहसास बच्चों को देना चाहिए।
2. बच्चों को अपने आप को कमजोर नहीं समझना चाहिए।
3. पठन-पाठन को खेल एवं मनोरंजन के साथ करना चाहिए।
4. जो बच्चे ज्यादा क्रोध दिखाएं ,सबसे पहले उनके बातों को मानकर क्रोध शांत करें ,उसके बाद विचार विमर्श करना चाहिए।
5. परिवार की समस्याओं को बच्चों से दूर रखना चाहिए।
6. बच्चों को सही एवं गलत के बारे में बच्चों के साथ बैठकर विचार विमर्श करना चाहिए।
अशोक कुमार मौर्य

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इस कहानी से हम इस निस्कर्ष पर पहुंचते है कि दबाव को सकारात्मक तरीके से लेने से हमें अपने काम को करने के लिए आवश्यक ऊर्जा और प्रेरणा मिलती है। यह हमें अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए कड़ी मेहनत करने और अपने काम को उच्च गुणवत्ता के साथ पूरा करने में मदद करता है। लेकिन यह भी महत्वपूर्ण है कि दबाव को हम संतुलित तरीके से लें अधिक दबाव हमारे लिए हानिकारक हो सकता है और हमें तनाव और चिंता काअनुभव करा सकता है। इसलिए, दबाव को सकारात्मक तरीके से लेने के लिए हमें अपने काम को व्यवस्थित करने, समय प्रबंधन करने और अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए आवश्यक कदम उठाने होते हैं।

बच्चों का दबाव कम करने के लिए उनके साथ संवाद करना और उनकी भावनाओं को समझना बहुत महत्वपूर्ण है। जब बच्चे अपने माता-पिता या शिक्षकों के साथ खुलकर बात कर सकते हैं और अपनी भावनाओं को व्यक्त कर सकते हैं, तो उन्हें लगता है कि उनकी बात सुनी जा रही है और उनकी भावनाओं का सम्मान किया जा रहा है।

इसके अलावा, बच्चों को उनकी योग्यता के हिसाब से कार्य करने के लिए कहना भी बहुत महत्वपूर्ण है। जब बच्चों को उनकी क्षमता से अधिक कार्य करने के लिए कहा जाता है, तो वे दबाव महसूस करने लगते हैं और उनकी आत्मविश्वास कम हो सकता है। इसलिए, बच्चों को उनकी योग्यता के हिसाब से कार्य करने के लिए कहना और उनकी तुलना किसी और से न करना बहुत महत्वपूर्ण है।

जब हम बच्चों की तुलना किसी और से करते हैं, तो इससे उनके आत्मविश्वास को ठेस पहुँच सकती है और वे दबाव महसूस करने लगते हैं। इसके बजाय, हमें बच्चों को उनकी अपनी योग्यता और क्षमता के हिसाब से प्रोत्साहित करना चाहिए और उनकी प्रगति को देखना चाहिए।आपकी बातों से यह स्पष्ट होता है कि बच्चों का दबाव कम करने के लिए हमें उनके साथ संवाद करना, उनकी भावनाओं को समझना, और उनकी योग्यता के हिसाब से कार्य करने के लिए कहना बहुत महत्वपूर्ण है। इससे हम बच्चों को एक स्वस्थ और सकारात्मक वातावरण प्रदान कर सकते हैं जहाँ वे अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए प्रेरित हो सकते हैं।
Manjula Sagar

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मजबूत बानो, दबाव में आकार काम मत करो, दबाव पर काम करो। दबाव से हमे या हमारे बच्चों को कैसे निपटना चाहिए क्योंकि अधिक दबाव में एक शिक्षक सही ढंग से पढ़ा सकता है और ना बच्चा सही ढांग से पढ़ सकता है जैसा कि रीना मैम ने बताया है कि हम मुश्किलों का सामना कैसे करें हमें जीवन में कभी भी किस्मत को दोष नहीं देना चाहिए अगर हम ऐसा करेंगे तो हमारे जीवन में हार होती है और अगर हम सोचे कि हमारे पास पैसा अधिक होता तो हम आराम से होते ऐसा कभी नहीं होगा क्योंकि जितना पैसा होता है उससे अधिक इच्छाएं होती हैं हमें अपने जीवन शैली में घबराना नहीं चाहिए उसका डटकर समाना करना चाहिए और बिना हार माने संघर्ष करना चाहिए ।

मे शिक्षक होने के कारण बच्चों को एक अच्छा उदाहरण दे कर समझना चाहिए अगर बच्चों से कोई गलती भी हो जाए तो हमें बहुत प्यार से उसे समझना चाहिए और हमें शिक्षक होने के नाते क्रोध पर नियंत्रण रख कर दबाव का सामना करना चाहिए । डॉ. अनुपम सिंह ने बहुत ही अच्छी पुस्तक लिखी है जिससे हमें अच्छी सीख मिली ।
चंचल

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