मैं अपनी गलती सुधारने के लिए सबसे पहले उस गलती को समझने की कोशिश करती हूँ — कि कहाँ और क्यों गलत हुआ।
फिर मैं सच्चाई से उस गलती को स्वीकार करती हूँ, और उससे सीखकर अपने उत्तर को बेहतर बनाती हूँ।
मैं जीवन में सच्चाई का साथ देकर आगे बढ़ती हूँ।
"गलती करने के लिए कोई भी वक़्त सही नहीं होता,
और गलती सुधारने के लिए कोई भी वक़्त बुरा नहीं होता।"
गलतियाँ करना और कमियाँ स्वीकार करना...
इससे मैंने यह सीखा है कि जीवन में कुछ बड़ा करने की कोशिश में हम कई बार गलतियाँ कर बैठते हैं। यही गलतियाँ और कमियाँ हमें मजबूत भी बनाती हैं। पर कुछ लोग ऐसी गलतियाँ बार-बार दोहराते हैं, जो उचित नहीं है। गलतियों को छुपाने या झूठ बोलने से बेहतर है कि हम अपनी गलती को स्वीकार करें। क्योंकि जब हम अपनी गलतियों को स्वीकारते हैं, तभी हम जीवन में आगे बढ़ सकते हैं।
साक्षी खन्ना
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