गलती सुधारना प्रगति है।"
इस पाठ के माध्यम से हमें यह शिक्षा मिलती है कि अगर हम गलती करते हैं, तो हमें उसे दिल से स्वीकार करना चाहिए। क्योंकि इंसान गलतियों का पुतला है। लेकिन समय पर अपनी गलती को स्वीकारना, हमारे जीवन को सरल और सच्चा बनाता है। एक अच्छा व्यक्ति वही होता है जो गलती करके उसे स्वीकार करता है।
जॉन मैक्सवेल ने बहुत सुंदर बात कही है –
"व्यक्ति को इतना महान होना चाहिए कि वह अपनी गलतियों को स्वीकार कर सके और उन्हें स्वयं सुधार सके।"
जब हमारे बच्चे हमें अपनी गलतियों को स्वीकार कर सुधारते हुए देखते हैं, तो उनमें भी अपनी गलतियों को स्वीकार करने का आत्मविश्वास विकसित होता है। वे इस उम्मीद में अपनी गलतियाँ बताते हैं कि हम उनकी मदद करेंगे, उन्हें डाँटने की बजाय समझाएँगे।
गलती मानने के लिए हमारा मन साफ़ होना चाहिए। जब हमें अपनी गलती का अहसास होता है, तभी हम उसे स्वीकार करने के योग्य बनते हैं। गलती सब से होती है, परंतु हर कोई उसे स्वीकार नहीं कर पाता।
वही इंसान अपनी गलती मानता है जिसे यह अहसास होता है कि उससे गलती हुई है। और जब हम अपनी गलती स्वीकार करते हैं, तब ही हम अपने जीवन के लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में आगे बढ़ सकते हैं।
जिनकी किस्मत में महान बनना और तरक्की करना लिखा होता है, वे अपनी गलतियों को स्वीकार कर उनसे सीखते हैं और आगे बढ़ते हैं।
गलती करना, उसे स्वीकार करना और उससे सीखना – यह जीवन का एक अत्यंत महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह एक ऐसा कौशल है जो व्यक्ति को न केवल व्यक्तिगत रूप से, बल्कि पेशेवर रूप से भी निखारने में मदद करता है। जब हम अपनी कमजोरियों को पहचानकर उन पर काम करते हैं, तो हमारा स्वभाव और हमारा आत्मबल दोनों सुधरते हैं। जब हम अपनी गलतियों से सीखते हैं और उन्हें दोहराने से बचते हैं, तो हम भविष्य के लिए बेहतर योजना बना सकते हैं और एक सशक्त इंसान बन सकते हैं।
"कमी निकालना, निंदा करना, बुराई करना आसान है,
लेकिन उन कमियों को दूर करना अत्यंत कठिन होता है।"
– रीना देवी
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