गलतियाँ करना और कमियों को स्वीकारना
मैंने इस पाठ से यह सीखा है कि अगर कुछ नया सीखने के प्रयास में हमसे गलती हो जाती है, तो हमें उस गलती को स्वीकार कर सुधारना चाहिए और कोशिश करनी चाहिए कि वही गलती दोबारा न हो। जैसे जब मैंने पहली बार रोटी बनाना शुरू किया था, तो मेरी रोटियाँ टेढ़ी-मेढ़ी बनती थीं। लेकिन जब मैंने रोज़ प्रैक्टिस की और हार नहीं मानी, तो मैं धीरे-धीरे बिल्कुल गोल रोटी बनाना सीख गई। इसलिए ज़िंदगी में कुछ नया करने की कोशिश करते रहना चाहिए। अगर मैंने टेढ़ी-मेढ़ी रोटी बनाने की गलती न की होती, तो मैं आज गोल रोटी बनाना नहीं सीख पाती।
"गलती से डरना नहीं, उसे अपनाकर सीखना है।"
सिमरन कौर
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