Hindi poem - Veer Sainik - Kalpana Jain

जहाँ दिखी थोड़ी-सी हरकत, थोड़ा-सा गुबार उड़ा
भारत माँ की रक्षा करने, भारत माँ का लाल चला।
करके अपना सीना चौड़ा, लगा तिलक स्व भाल चला
बाँध कफन वह घर से निकला, बनकर वह महाकाल चला।       
वीर नहीं कायर होते हैं,  जो दहशत फैलाते हैं
नहीं छोड़ते माँ-बहनों को लहूलुहान कर जाते हैं।
छद्म वेश को धारण करके स्याह रात में आते हैं
पत्थरबाजी की आड़ में छिपकर मासूमों को सताते हैं।
गाय-भैंस और कार बेचकर अपना काम चलाते हो
नहीं सँभलता मुल्क स्वयं का आँख हमें दिखलाते हो।
करके आतंकी हमले,  मत सोये शेर जगाओ तुम
फिर होगी सर्जिकल स्ट्राइक, यह बात समझ अब जाओ तुम।
वीर हमारे कफन ओढ़कर अपने घर से निकलते हैं
करके अपना सीना चौड़ा मातृभूमि पर मरते हैं।
ओढ़ तिरंगा सो ताबूत में जब वह वापस आते हैं
माँ देती है उनको काँधा, वे शहीद कहलाते हैं।               

भारत माँ देती है थपकी, ओढ़ा उन्हें अपना आँचल
ऐसे वीर सपूतों को, शत-शत वंदन, है अभिनन्दन।

-Kalpana Jain
The Iconic School, Bhopal

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