
हमें सफल जिंदगी जीने के लिए इन दोनों का समझदारी से उपयोग करना चाहिए क्योंकि अगर यह बुद्धिमत्ता परेशानियाँ मिटा सकती है तो यह ही है जो उन परेशानियों का कारण भी बन सकती है l जब हम रिश्ते मजबूत करने के बारे में सोचते है तब हमें हमेशा अपने दिल की बुद्धिमत्ता की सुननी चाहिए परन्तु जब उन्हीं रिश्तों को बनाए रखने की बात आती है तब दिमाग ही हमें सही राह दिखाता है l यह कहना गलत नहीं होगा कि कई बार दिल की आवाज झूठ भी हो सकती है क्योंकि जो हम चाहे वह हमारा दिल मान लेगा और अच्छे विचार आएँगे परन्तु दिमाग ऐसा बिलकुल नहीं करता वह हमेशा हमें सच्चाई से सामना करवाता है और उसके सामने खड़े होने में सहायता करता है l
जब कोई व्यक्ति सिर्फ अपने दिल से निर्णय लेता है तब ज्यादातर वह व्यक्ति कठोर परिस्थिति में स्थिर खड़ा नहीं रह पाता, उस परिस्थिति का डट कर सामना नहीं कर पाता और अंतर से टूट जाता है परन्तु अगर कोई व्यक्ति है जो सिर्फ अपने दिमाग की बात सुनता है वह कठिन परिस्थिति में हिम्मत नहीं हारेगा वह उस परिस्थिति से बाहर तो आ जायेगा लेकिन उसे कुछ और नहीं सूझेगा वह सिर्फ अपने बारे में सोचेगा और वह स्वार्थी भी बन सकता है l इसलिए एक समझदार व्यक्ति कभी भी दिमाग को दिल पर या दिल को दिमाग पर हावी नहीं होने देता l वह दिमाग तथा दिल, दोनों की बुद्धिमत्ता एक साथ लेकर चलता है l जिसका जितना उपयोग करना है उतना ही उसका उपयोग करता है l जब हम अंदर से दुखी होते हैं और परेशान होते तब हमारा दिमाग काम नहीं करता और हम कोई भी निर्णय दिल से लेते हैं जिससे आगे चल कर हम पछताते हैं l जब हम ज्यादा खुश या ज्यादा दुखी होते हैं तब हमें कोई भी निर्णय नहीं लेना चाहिए l
अतः बुद्धिमत्ता दिमाग की और बुद्धिमत्ता दिल की हमें हर निर्णय लेने में सहायता करते हैं और हमारे जीवन को सफलता से जीने के लिए मदद करते हैं l
कीर्ति मालवीय, Xll Commerce The Fabindia School
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