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लिखना एक कला है : सुरेश सिंह नेगी


क्या आपने कभी सोचा है कि रसोइयों को खाना बनाने के बारे में कैसे पता चलता है? उन्होंने अपने माता-पिता से या टीवी देखकर या रेसिपी की किताबें पढ़कर कुछ खाना बनाना सीखा होगा। साथ ही, उन्हें अपनी रसोई में बहुत अभ्यास करना पड़ता है। वे खाना पकाने के इस कौशल को धीरे-धीरे विकसित करते हैं। इसी तरह, लेखन की कला में भी कुछ कौशल होते हैं।
हम अपने लेखन को रोचक और व्यवस्थित बनाने के लिए लेखन कौशल का उपयोग करते हैं। लेखन हमारे विचार और विचारों को व्यक्त करने की एक कला है। हम असंगठित तरीके से कुछ नहीं लिख सकते। एक लेख लिखने के पीछे मुख्य उद्देश्य यह कदापि नहीं  है कि इसे या तो समाचार पत्रों या पत्रिकाओं  में प्रकाशित किया जाए ताकि दुनिया  उसे पढ़े।

लिखना अपने आप में एक कला है, यह कला हर किसी के पास नहीं होती है, लेकिन मेरा मानना है, कि यदि आप लगातार कुछ कुछ लिख रहें हैं  तो एक दिन ऐसा भी आएगा कि आप इस काम में महारथ हासिल कर सकते है। लेख लिख कर के आप अपने विचारों को दूसरे से साझा कर सकते हैं। यह विचारों  को आदान प्रदान करने का एक  महत्वपूर्ण  तरीका है, साथ ही साथ यह हमें सोचने के लिए भी मजबूर करता है, कि हमें क्या लिखना है?  लिखने से हमारे मन को धनात्मक ऊर्जा मिलती है, क्योंकि हम जो कुछ भी लिखना चाहते  है वो सब धनात्मक ही होता है। लेख लिखने से हम नए शब्दों से रूबरू होते हैं साथ ही साथ हमें नए शब्दों का ज्ञान भी होता है। हमारे साथ दिनभर में बहुत से अच्छी चीजें होती हैं जिन्हें हम अक्सर अगले दिन भूल जातें हैं।

यदि वो सभी चीजें हम लिख कर के रख लें तो वो चीजें हमेशा के लिए हमारे साथ रहती हैं। जब हमारे साथ कभी कुछ अच्छा नहीं होता है, तो हम बहुत देर तक उदास हो जाते है। ऐसी स्थिति में जो अच्छी चीजें हमने लिख कर के रखी हैं उसे पढ़ कर के हम अपने उदासीनता को दूर कर सकते हैं। विद्यार्थी जीवन से ही हमें निरंतर लिखने की आदत का विकास करना चहिए।  इसलिए हमें पुस्तक में दिए गए पाठ को अपनी भाषा में लिखना चाहिए, जिससे हमें आने वाली परीक्षा में मदद मिलेगी और हमारे अंदर लिखने की आदत  विकसित होगी।
Suresh Singh Negi
sni4fab@gmail.com
The Fabindia School, Bali

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