भारतीय संस्कृति - Krishan Gopal

भारतीय संस्कृति के विविध रूप है। इसके कई कारण है, यहाँ की अलग-अलग ऋतुएँ, इतिहास, धर्म, जाति
संप्रदाय और कृषि। यह सभी मिलकर भारतीय संस्कृति को प्रगाढ़ बनाते हैं। इन सभी में भाषा का भी एक महत्वपूर्ण स्थान है। संस्कृति के अंतर्गत हम रीति-रिवाज, परंपराओं, खानपान, धार्मिक-सामाजिक उत्सव आदि को सम्मिलित करते हैं। भारत में हिंदू, जैन, बौद्ध, सिख और मुस्लिम धर्म के लोग निवास करते हैं। इन सभी की विविध परम्पराएँ  हैं। इन सभी धर्मों के मिश्रण से भी कई परम्पराएँ पैदा हुई, जिसने न केवल भारत को वरन विश्व को भी प्रभावित किया है। 

 भारत में एक तरफ ईद का त्योहार हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है तो दूसरी तरफ रक्षाबंधन की तैयारियाँ भी  अपने चरम पर है। सामाजिक एकता भारतीय परंपरा का महत्वपूर्ण तथ्य रही है। रमजान के पवित्र महीने में चारों तरफ खुशहाली की धूम मच जाती है तो सावन के महीने में शिवालयों में उत्साह देखा जा सकता है। ऐसा भी कहा जाता है कि भारत में वर्ष के पूरे 365 दिन उत्सव ही होते हैं। हमारे त्योहार और उत्सव इसी बात के द्योतक हैं कि आपस में भाईचारा बना रहे। विवाह भी किसी का एक अंग माना जा सकता है क्योंकि भारत में तयशुदा विवाह का प्रचलन अधिक है। ऐसे विवाह में कई परिवार आपसी रिश्तेदारी में बँध जाते हैं। पाश्चात्य संस्कृति से मेल होने के कारण इस प्रकार के विवाह में कुछ कमी अवश्य देखी जा रही है।

अगर हम सामान्य शब्दों में कहें तो संस्कृति यानी हमारी जीवन शैली। इस जीवन शैली में बालक अपने परिवार में होने वाले क्रिया-कलापों से प्रशिक्षित होता है। संस्कृति को किसी देश की विशेषताओं के अंतर्गत सम्मिलित किया जा सकता है। इसलिए जरूरी है कि हम अपनी संस्कृति को बचाने का प्रयास करें। हमें हमारी परंपराओं, भाषाओं, रीति-रिवाजों, सामाजिक-राष्ट्रीय उत्सवों के बारे में जानकारी बढ़ानी चाहिए तथा इसे दूसरों के साथ भी साझा करना चाहिए। 

हमारी संस्कृति इतनी प्रगाढ़ है कि कई आघातों  के बावजूद सुरक्षित रह गई। आगे इसकी सुरक्षा हमारा दायित्व बन जाता है। हमारी राजभाषा हिंदी है किंतु हमारे यहाँ कई क्षेत्रीय भाषाएँ भी बोली जाती है, हमें इन भाषाओं का सम्मान करना चाहिए तथा इन को बढ़ावा देने का प्रयास किया जाना चाहिए। नई शिक्षा नीति में भारत सरकार ने भी शिक्षा क्षेत्रीय भाषाओं में प्रदान करने की योजना बनाई है। इससे भी भारतीय भाषाओं का संरक्षण हो सकेगा। 
 सबसे महत्वपूर्ण हमारे राष्ट्रीय त्योहार, जो न किसी धर्म, न जाति संप्रदाय, न क्षेत्र आदि से जुड़े हैं। इन त्योहारों में जनता केवल भारतीय होने के गर्व के कारण भाग लेती है। 

यहाँ देश की एकता तथा सौहार्द ही महत्वपूर्ण होता है। यहाँ एक और बात महत्वपूर्ण है कि जब भी देश पर कोई संकट आता है तब सारे भारतीय बन जाते। फिर किसी प्रकार का मतभेद या मनभेद नहीं रहता। मिलकर सामना करते हैं या प्रोत्साहित करते हैं।  इन त्योहारों, उत्सवों  आदि का ध्यान रखते हुए आपसी एकता को मजबूत बनाना चाहिए। अपनी परम्पराएँ आने वाली पीढ़ी तक पहुँचाएँ। देश की वस्तु, अपनी भाषा,अपने उत्सव आदि पर हम गर्व करें।  

 Krishan Gopal
The Fabindia School
kde4fab@gmail.com

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