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विचारशीलता और आपसी समझ - ज्योति तड़ियाल

Thoughtfullness अर्थात विचारशीलता, चिंताशीलता, सोच विचार या सोच समझ।

अनेक अर्थ स्वयं में समाहित किए यह शब्द पूर्णता प्रदर्शित करता है। किसी भी विषय पर कार्य करने से पूर्व विचारशीलता अति आवश्यक है। कार्य को सही दिशा में कार्यान्वित करने के लिए विचारशीलता अत्यंत आवश्यक है। कक्षा कक्ष में भी सोच विचार के द्वारा ही सभी कार्य सुगमता से पूरे होते हैं। कक्षा कक्ष में कार्य की सफलता हेतु तीन प्रकार के उपाय अपनाए जा सकते हैं

पहला किसी भी कार्य को करने से पूर्व विद्यार्थियों के मध्य उसकी सोच समझ विकसित करना। जब कार्य को भली प्रकार से सोच समझकर किया जाता है तो उसका परिणाम सुखद ही होता है।

दूसरा आपसी समझ । किसी भी कार्य को दो दिमाग अधिक अच्छे से कर सकते हैं परंतु यह तभी संभव है जब दोनो दिमाग एक दिशा में सही तालमेल के साथ सोचें। विद्यार्थियों को इस बात के लिए प्रोत्साहित किया जाए कि उनके मध्य सही तालमेल बना रहे, तभी प्रयास सार्थक होंगे।

तीसरा है सावधानी। किसी भी कार्य को करने से पूर्व क्या क्या सावधानियां आवश्यक हैं यह भी कक्षा कक्ष में चर्चा का विषय है हर कार्य में सावधानी से ही सफलता प्राप्त की जा सकती है।

अपने विद्यार्थियों के मध्य विचारशीलता को सही प्रकार से परिभाषित करना आवश्यक है। कक्षा कक्ष में इसे सही रूप से कार्यान्वित भी करना आवश्यक है। किसी भी कार्य की सफलता उस पर किए गए सोच विचार व सोच समझ पर ही निर्भर है।

Understanding के हिंदी पर्याय हैं सहमति, समझदारी, सामंजस्य, तालमेल व आपसी समझ।

सहमति व सामंजस्य के द्वारा ही हमारे भीतर समानुभूति की भावना उत्पन्न होती है। विद्यार्थियों के मध्य इस भाव को विकसित करना अत्यंत आवश्यक है।जब हम दूसरे के कष्ट व परेशानी को दया की दृष्टि से न देखे अपितु उस पर समानुभूति व संवेदना का भाव रखें तो इसे ही empathy व समानुभूति कहते हैं।

कक्षा कक्ष में ऐसी परिस्थिति उत्पन्न करी जाए जहां कुछ विद्यार्थी स्वयं को किसी कार्य में असमर्थ पा रहे हैं, उन्हें सहायता की आवश्यकता है । उसी समय कुछ विद्यार्थियों  को उनका सहायक बनाया जाए। वे उन विद्यार्थियों की सहायता इस भाव से करें मानो वे स्वयं ही इस परिस्थिति का। सामना कर रहे हों। धीरे धीरे यह भावना सभी विद्यार्थियों में विकसित हो जायेगी। सारे विद्यार्थी इस प्रकार समानुभुति की भावना से पूर्ण होंगे और सबकी सहायता करना सीख जाएंगे। इस प्रकार निश्चित रूप से वे उत्कृष्ट नागरिक बनेंगे। 

यह एक शाश्वत सत्य ही है कि समानुभूति व सामंजस्य की यह भावना जीवन में भी विद्यार्थियों के लिए अत्यंत फलदायी रहेगी व कुशल नागरिकों का निर्माण करेगी।

ज्योति तड़ियाल
द दून गर्ल्स स्कूल

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