साहस और धैर्य - Medley DGS

दुनिया एक रंगमंच है यहां प्रत्येक व्यक्ति अलग-अलग किरदार निभाता है।

                                                                                             --- विलियम शेक्सपियर

किरदार चाहे कोई भी हो माता- पिता, भाई- बहन, पति-पत्नी या खा- साथी । परंतु एक किरदार जो इन सभी से ऊपर होता है तथा जिस पर समाज का भविष्य निर्भर होता है............. वह है, एक अध्यापक

हर बच्चा अपने में अलग होता है तथा उसके सोचने और समझने का स्तर बिल्कुल अलग होता है । हम उन्हें परखने के लिए एक ही मानदंड नहीं तय नहीं कर सकते । यह तो वही बात हो गई कि एक जलचर और एक नभचर के बीच उड़ने की प्रतियोगिता करा दी जाए, इसलिए अगर हमें पारस बनना है तो साहस और धैर्य को अपने व्यवहार में समाना आवश्यक है । इन दोनों गुणों के बिना हम अध्यापक प्रत्येक छात्र के साथ न्याय नहीं कर सकते इन दोनों गुणों की आवश्यकता तब और अधिक हो जाती है जब हम विशेष बच्चे, जो किसी कारणवश मानसिक या शारीरिक रूप से अक्षम होते हैं, को आवासीय विद्यालय में पढ़ा रहे हों ।

पिछले कुछ सालों से एक ऐसा ही छात्र मेरी कक्षा में है शारीरिक और मानसिक रूप से अन्य बच्चों से बिल्कुल अलग।  चाहे खेल का मैदान हो या कक्षा उसे धैर्य के साथ सारे तौर- तरीके से सिखाना और फिर अगले दिन वही प्रक्रिया दोहराना, धैर्य की परीक्षा देने के समान होता है।  परंतु इस बात का सुकून अवश्य होता है कि मेरे साथ वह बच्चा भी प्रतिदिन धैर्य और साहस की परीक्षा में खरा उतरता है। 

एक  परिस्थिति में मुझे बार-बार साहस की आवश्यकता  अधिक पड़ती है जब उस बच्चे के माता-पिता को बच्चे की सही तस्वीर दिखानी पड़ती है।  अगर झूठी उपलब्धियां दिखाकर या सच्चाई को छुपाकर बात को समाप्त कर दिया जाए तो यह बच्चे के भविष्य को अंधकारमय  करना होगा परंतु मेरे साथ साथ उसके माता-पिता ने भी धैर्य और साहस का प्रदर्शन किया और आज वह बच्चा धीरे-धीरे ही सही सफलता की ओर बढ़ रहा है

2020 के हालातों ने इस बात को और पुख्ता   कर दिया कि बिना धैर्य और साहस के अध्यापन का कार्य संभव नहीं है । online कक्षाओं के दौरान जिस साहस के साथ अध्यापकों ने कंप्यूटर पर काम करना सीखा और जिस धैर्य के साथ chalk  से keyboard  तक का सफर तय किया उससे साबित होता है कि साहस हम सभी के अंदर है जो हमें शक्तिशाली और आत्मनिर्भर बनाता है और धैर्य हमें निरंतर परिश्रम के लिए प्रेरित करता है।

न्हीं दो गुणों को बयां करती है सोहनलाल द्विवेदी जी की य पंक्तियां..

नन्ही चींटी जब दाना लेकर चलती है,  चढ़ती दीवारों पर सौ बार फिसलती है

मन का विश्वास रगों में साहस भरता है, चढ़कर गिरना गिरकर चढ़ना ना अखरता है

आख़िर उसकी मेहनत बेकार नहीं होती ,कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।

Medley DGS @The Doon Girls' School - Anubhuti Sharma, Chandralekha Negi, Kirti Bisht, Mamta Kandpal, Neelam Waldia, Rudrani Ray, Sugandha Ahluwalia

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