एकता में शक्ति है - सुरेश सिंह नेगी

एक जंगल में, एक भेड़िया रहता था, जो भूख से बेहद हो चुका था। एक दिन वह खाने की तलाश करते-करते एक गाँव में जा पहुँचा । अचानक उसे अपने आस- पास  किसी दूसरे जानवर के होने का महसूस हुआ  और वह सतर्क हो गया , इतने में गाँव में घूम रहे  कुत्तों की नजर उस पर पड़ी और उन्होने भौंकना शुरु कर दिया। कुत्तों के भौंकने की आवाज सुनकर भेड़िया वहाँ से जंगल की ओर भागने लगा। 

भेड़िये को जंगल की ओर  भागते देख कुत्ते भी उसका पीछा करने लगे। भागते -भागते भेड़िया एक गुफा के अन्दर  चला गया। गुफा का मुँह छोटा होने के कारण कुत्ते उसके अन्दर न जा सके और गुफा के बाहर ही बैठ गए और भेड़िये के बाहर आने का इंतजार करने लगे।  भेड़िया बहुत थक गया था  और उसकी  साँसे  भी बहुत तेज चल रही  थी। थोड़ी देर तक आराम करने के बाद भेड़िये ने अपने शरीर के  हर एक अंग  से पूछना शुरु किया कि उन्होने किस तरह से उसकी जान, कुत्तों से बचाने  में मदद की। सबसे पहले नाक ने कहा कि मैंने कुत्तों की गंध सूंघने में आपकी मदद की, उसके बाद कानो  ने कहा कि  हमने कुत्तों  के भौंकने की आवाज सुनकर आपकी मदद की , पैरों  ने कहा कि हमने दौड़ने में आपकी मदद की, आँखों  ने कहा कि हमने दौड़ते समय आपको रास्ता दिखाने  में मदद की।

 अंत में पूँछ  कुछ बोलती इससे पहले ही भेड़िया बोल पड़ा कि अरे पूँछ  तुम तो मेरी कोई भी मदद नहीं करती, जब देखो मेरे ऊपर सवार रहती हो इसलिए आज मैं तुम्हे कुत्तों को खिला दूँगा, यह कहकर वह धीरे -धीरे गुफा से बाहर आने के लिए पीछे की ओर खिसकने लगा, इतने में पूँछ बोली मैंने शरीर का संतुलन बनाने आपकी मदद की। यह सुनकर भेड़िया समझ गया कि शरीर का हर  एक अंग कितना जरूरी है और बिना एक -दूसरे के ये कुछ भी नहीं।  सभी अंगों ने कहा- "हम मान गए कि सहयोग से ही सब काम चलते हैं । अतः एकता में ही शक्ति है ।”

सुरेश सिंह नेगी
The Fabindia School
sni@fabindiaschools.in


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