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एक दिन फोन के बिन: सुरेश सिंह नेगी

संसार में बहुत सी चीजें ऐसी भी हैं जिसके बिना हम एक दिन भी नहीं रह सकते हैं। लेकिन अगर हम ठान  लें तो एक दिन के लिए उनके बिना भी रह सकते हैं। 

अक्सर कहा जाता है कि, एक छोटा बच्चा अपनी माँ के बिना एक दिन भी नहीं रह सकता है। लेकिन समय के साथ जैसे-जैसे वह बड़ा होता चला जाता है। वह अपनी माँ के बिना भी रहना सीख़ जाता है। ऐसा इसलिए होता है कि जब वह छोटा होता है तब उसके अन्दर समझ की कमी होती है। लेकिन आज हमें समझ होते हुए भी हम एक दिन भी फोन के बिना नही रह सकते हैं।

अगर आप, लोगों से पूछें कि क्या वह एक दिन फोन के बिना रह सकते हैं। तो ज्यादातर लोगों का यही कहना  होगा कि बिना फोन के हमें  नींद नही आती है, हमारा दिन फोन के बिना अधूरा सा लगता है या फिर हमारा  काम ही कुछ ऐसा है कि जो कि बिना फोन के हो ही नहीं सकता। काफी हद तक उनका कहना भी सही है क्योंकि उन्होने फोन को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बना लिया है। 

आज के दौर में जिस तरह से फोन  का उपयोग हो रहा है मेरा मानना है कि ऐसा नहीं होना चाहिए। जब हमें   जरूरत हो उसी समय उसका उपयोग करें। सोचो कि कभी आपका फोन ख़राब हो जाए या फिर फोन की बैटरी खत्म हो जाए और पूरे दिन बिजली नही हो तब उस समय आप क्या करोगे। 

जिस प्रकार से हम अपने शरीर को स्वस्थ रखने के लिए उपवास रखतें हैं, ठीक उसी प्रकार से फोन को भी महीने में कम से कम एक बार पूरे दिन के लिए अपने से दूर रखें।

सुरेश सिंह नेगी

The Fabindia School, Bali
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