साहस का जीवन में महत्व - Krishan Gopal

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साहस का अर्थ यह नहीं कि हम युद्ध भूमि में जाएँ या किसी के साथ शारीरिक शक्ति से मुकाबला करें। यहाँ साहस का अर्थ केवल परिस्थितियों से मुकाबला करना है। कई बार व्यक्ति डरता है कि कहीं कुछ गलत न हो जाए, कहीं मेरा निर्णय गलत न हो। इस प्रकार के भय से मन आतंकित रहता है। इस भय को दूर करना और कुछ अपने मन की करना, परिणाम चाहे जो कुछ भी हो, इसी का नाम साहस है। हम बहुत कुछ करना चाहते हैं किंतु इसी भय के कारण हम कतराते हैं और यह सोचते हैं जैसा चल रहा है, जो चल रहा है वह ठीक ही है।

माता-पिता अपने बच्चे को भी इसी प्रकार कहते हैं। कुछ करने से बच्चे को चोट लगेगी या विफल हो जाएगा तो मन अशांत हो जाएगा, ऐसा विचार करके बच्चे को कुछ करने से रोक देते हैं। जबकि साहस को बढ़ाने का या बच्चे को साहसी बनाने का यही अवसर होता है। बचपन से ही उसे नया करने की स्वतंत्रता मिले तो वह निश्चित रूप से सफलता या असफलता का सामना करने में सक्षम हो जाएगा।

कभी कुछ करने से पहले हम यही सोचते हैं कि कहीं असफल न हो जाए या हम कुछ गलत तो नहीं कर रहे हैं। परंतु यह नहीं सोचते कि असफल हो भी गए तो कुछ सीखने को अवश्य मिलेगा और अगर सफल हो गए तो मंजिल तक पहुँच ही जाएँगे। इसलिए मन को सकारात्मक रखते हुए तथा धैर्य को अपना साथी बनाते हुए हमें ऐसे कार्यों के लिए साहसी बनना पड़ेगा।

हमारे अंदर साहस भरा पड़ा है अब उसके उपयोग की। जीवन में ऐसे कई अवसर आते हैं जब हमें कुछ ऐसे निर्णय लेने पड़ते हैं जो हमारे साहस को ही रेखांकित करते हैं। वास्तव में साहस एक सीढ़ी की तरह है, एक कदम आगे बढ़ाने पर और बढ़ाने की आवश्यकता पड़ेगी। जगह-जगह में साहस दिखाने की भी आवश्यकता पड़ेगी। इसलिए परिणामों की चिंता किए बिना हमेशा साहसी बनना पड़ेगा तथा यह बच्चों को भी सिखाना पड़ेगा। 

Krishan Gopal
The Fabindia School, Bali
kde@fabindiaschools.in

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