"Parvaas" हमें एक आध्यात्मिक यात्रा पर ले जाता है — ऐसी यात्रा जो केवल रास्तों और स्थानों की नहीं, बल्कि आत्मा की गहराइयों की होती है।
अमरदीप सिंह ने गुरु नानक देव जी की यात्राओं को केवल ऐतिहासिक घटनाओं के रूप में नहीं, बल्कि मानवता, समानता और प्रेम के संदेश के रूप में प्रस्तुत किया है। यह allegory हमें सिखाती है कि सच्चा धर्म कोई सीमा नहीं मानता — न भाषा की, न जाति की, न धर्म की।
उन्होंने इंसान के भीतर बसने वाले ईश्वर की पहचान करवाई। उनकी यात्राओं का उद्देश्य किसी धर्म विशेष का प्रचार नहीं, बल्कि सच्चे धर्म की पहचान कराना था — जो प्रेम, करुणा और सेवा में बसता है।
"Parvaas" में अमरदीप सिंह ने इन यात्राओं को एक Tapestry — यानी चित्रों और प्रतीकों की चादर — के रूप में पिरोया है। इस चादर में हर धागा, हर रंग एक विचार है — कहीं सामाजिक कुरीतियों पर चोट, कहीं स्त्री सम्मान की बात, कहीं जातिवाद का विरोध, तो कहीं एकता और भाईचारे का मंत्र।
लेखक ने allegory के माध्यम से दिखाया है कि गुरु नानक देव जी का हर कदम एक संदेश था, और हर मुलाकात एक क्रांति।
अतः अमरदीप सिंह की यह कृति हमें प्रेरित करती है कि हम भी जीवन को एक पवित्र यात्रा समझें — जहां हर कदम पर सीख हो, और हर मोड़ पर सेवा का संकल्प।
साक्षी पाल
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