अगर किसी को दुःख होता है और हम उस व्यक्ति की मदद करें, उसके दुःख को समझें — तो यही संवेदना कहलाती है। इससे हमारे रिश्ते मजबूत होते हैं और समाज में प्यार बना रहता है। अगर हम में से किसी में भी संवेदना ना हो, तो हम सब और पूरी दुनिया स्वार्थी और कठोर बन सकती है।
हम अपने घर के आसपास, बाहर या स्कूल में ऐसे कई लोगों से मिलते हैं जिन्हें मदद की ज़रूरत होती है। अगर हम उनकी मदद करते हैं और सहानुभूति दिखाते हैं, तो यह हमारे अच्छे इंसान होने की निशानी है। जैसे किसी भूखे इंसान को खाना खिलाना, या ज़रूरत पड़ने पर किसी की मदद करना — ये सब संवेदनशीलता के उदाहरण हैं।
आजकल हर इंसान अपने कामों में व्यस्त रहता है। किसी के पास इतना समय नहीं है कि वे दूसरों के दुःख को समझें और उनकी मदद करें। पर अगर हम थोड़ा सा वक्त निकालकर दूसरों की भावनाओं को समझें और सहायता करें, तो समाज में प्यार और समझ बढ़ेगी, और झगड़े कम होंगे।
"From this lesson, I learn that sensitivity is a very good quality. It makes both society and humans better. Therefore, we should adopt sensitivity and always help others."
— स्वाति
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