नारी शक्ति: कृष्ण गोपाल

हर युग में नारी का विशिष्ट स्थान रहा है। प्राचीन समय में महिलाओं को हर प्रकार की स्वतंत्रता थी। अध्ययन- अध्यापन के अलावा विशिष्ट अवसरों पर महिलाओं का योगदान लिया जाता था। वैदिक यज्ञों में सपत्नी बैठना पुरुषों के लिए आवश्यक था। ऋग्वेद की ऋचाओं की रचना में कई विदुषी महिलाओं ने अपना सहयोग दिया। विशिष्ट गुरुकुल में बालिकाओं को शिक्षा दी जाती थी। महिलाओं को विशिष्ट स्थान देने के लिए ही देवताओं के नाम से पहले उनकी पत्नियों का नाम लिया जाता है, जैसे- सीताराम, राधेश्याम, गौरीशंकर आदि।

संस्कृत की एक सूक्ति इस पूरी बात को स्पष्ट कर देती है- यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः। अर्थात जहाँ नारियों का सम्मान होता है वहाँ देवता निवास करते हैं।


मध्यकाल में महिलाओं ने अपनी वीरता, सूझबूझ और कौशल का परिचय दिया। ऐसे में हम कई उदाहरण प्रस्तुत कर सकते हैं- रानी लक्ष्मीबाई, रजिया सुल्तान, बेगम हजरत महल इत्यादि।


आज के समय में महिलाओं ने हर क्षेत्र में अपनी कुशलता का परिचय दिया है। व्यापार हो या खेल, एक प्रबंधक के रूप में हो या वैज्ञानिक। हर क्षेत्र में महिलाओं का विशिष्ट योगदान प्राप्त हो रहा है। यह प्रसन्नता का विषय है कि बालिका शिक्षा के प्रति समाज जागरूक हुआ है। बालिकाएँ शिक्षा के क्षेत्र में बालकों को भी मात दे रही है।


निश्चित रूप से महिलाएँ विशिष्ट सम्मान की अधिकारी है। मध्यकाल से वर्तमान समय तक परिस्थितियाँ सुलझी है परंतु यदि किसी प्रकार की कोई अपेक्षा कहीं है तो हमें इस पर ध्यान देना आवश्यक है।शिक्षा से ही कुरीतियों का विनाश होता है और शिक्षा से ही महिलाओं को सबल बनाया जा सकता है।


Krishan Gopal

The Fabindia school, Bali

kde@fabindiaschools.in

Blog Archive