अनुशासन — उषा पंवार

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अनुशासन ही मनुष्य को श्रेष्ठता प्रदान करता हैं। 
अनुशासन से राष्ट्र की उन्नति होती हैं। 
स्वयं पर स्वयं का शासन कहलाता है अनुशासन
यह है नियमों का अनुसरण, बनता है जिससे आदर्श जीवन।
अनुशासन सुसंस्कार है, सफल जीवन का यही आधार है।
अच्छे विद्यालय ही अनुशासन के निर्माता हैं।
सुसंस्कृत परिवार में ही बालक अनुशासन पाता है,
अनुशासित विद्यार्थी बढ़ाते हैं देश का मान।
अनुशासन राष्ट्र हित में है जरूरी, 
कर्तव्यों का पालन हमारी है जिम्मेदारी,
अनुशासित रहना ही है सच्ची समझदारी।।

जीवन में सफल होना है तो अनुशासित होना आवश्यक है। विद्यार्थी जीवन में तो इसकी उपयोगिता और भी बढ़ जाती है क्योंकि विद्यार्थी जीवन को किसी भी मनुष्य के जीवन काल की आधारशिला कह सकते है क्योंकि इस समय वह जो भी गुण अवगुण अपनाता है उसी के अनुसार उसके चरित्र निर्माण होता है। अनुशासित रहने से जीवन में एक तरह की नियम बद्धता आ जाती हैं। नियम बद्ध होकर काम करने मैं बहुत आनंद आता है। कठिन कार्य सरलता से हो जाते हैं ।विद्यालय, परिवार, समाज में भी अनुशासन का होना आवश्यक होता है। अनुशासित व्यक्ति के अंदर साहस, धैर्य जैसे गुणों का विकास होता है।

अपने जीवन को अनुशासित बनाए रखने के लिए हमें हर संभव प्रयास करना चाहिए क्योंकि अनुशासन ही सफल जीवन की पहली सीधी मानी जाती है। अनुशासन जैसे कार्यों को समय पर पूरा करने का प्रयास करना बुरी आदतों व कार्यों से दूरी बनाना अपने कार्यों के प्रति पूरी लगन रखना यही अनुशासन है।

प्रकृति कभी अनुशासन का उल्लंघन नहीं करती जैसे सूर्य चंद्रमा हर दिन सही समय पर उदय और सही समय पर अस्त होते हैं। हम भी तो प्रकृति के ही अंग हैं तो हमें भी अनुशासन का सदैव पालन करना चाहिए। बचपन से ही बच्चों को अनुशासन का महत्व बताया जाए और उसका पालन करने के लिए प्रेरित किया जाए।

धन्यवाद,
उषा पंवार
The Fabindia School 
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