Quality and Love - Chandra Prakash

Quality
गणुवत्ता एक ऐसा तत्व हैं जो वस्तु को उपयोग में लाने के लिए उपयक्त बनाता हैं। वस्तओु के उत्पादन में
मानक मापदंडो का गणुवत्ता के लिए पालन होना अनि वार्य हैं। गणुवत्ता का सबसे महत्वपर्णू  लक्षण मानक के
अनरूप बने वस्तु पर स्टैंप सर्टिफिकेट या मानक कागज जिस से वस्तु की गणुवत्ता का पता लग सके। गणुवत्ता पर्णू 
शिक्षा(quality education) आधनिुनिक समाज की मांग हैं और चाहे कोई भी क्षेत्र हो गणुवत्ता की मांग हर जगह
होती हैं। गणुवत्ता शिक्षा से आशय शिक्षा में  गुण का विकास करना या गणु का समावेश करना हैं। जिस से छात्रों
एवं शिक्षा के उद्देश्य की प्राप्ति भली-भाँति हो सके। जब किसी कार्य में उस कार्य से सबंधित सभी गणु का
(व्यावहारिक एवंसद्धान्तिक) समावेश होता हैं। तो उसे उस कार्य की गणुवत्ता के रूप में देखा व समझा जाता
हैं।और यही पहलू शिक्षा में भी होता हैं। हम शिक्षा में गणुवत्ता की बात जब करते हैं तो हम ऐसी शिक्षा को
गणुवत्तापर्णू   मानेंगे  जो छात्रों को उस शिक्षा का लाभ पहुंचाए। शिक्षा में प्रायः उसी शिक्षा का समावेश होता हैं जो
शिक्षा शिक्षण अधिगम में छात्रों की रूचि एवं क्षमताओं को समझे एवं समाज की आवश्यकताओं की पर्तिू  करें  और 
छात्रों को जीवि को पार्जनर्ज योग्य बनाए।

उ.1- एक छात्र जो कक्षा के काम और गहृकार्य के साथ एक घटिया काम करता हैं।
पहला महत्वपर्णू  उपाय - जो छात्र class work और home work को अच्छे ढंग से नहीं करता हैं। तो इसके लिए हम उस छात्र को Punish नही करेंगे बल्कि इसके स्थान पर जो कक्षा में अच्छा छात्र हैं जो अपना class work अच्छे ढंग से करता हैं ,और Home work भी ठीक ढंग से करता हैं,और जो पढाई में अच्छा हो, उस छात्र का
  उदाहरण उस छात्र के पास रहेंगे, और कहेगे कि इस बच्चे की Note book देखिए और इस बच्चे से अपने आप
को Compare करो।
दसूरा उपाय- हमें बच्चों के प्रति लापरवाही नही  बरतनी   चाहिए । अगर हम कक्षा की बात करें तो कक्षा में जो कुछ
भी पढाया जाता हैं तो उस कार्य को उसी समय देखना चाहिए। जिस से बच्चे अपने कार्य के प्रति सजग रहें।
तीसरा उपाय- जो छात्र पढने में अच्छा हैं और Class work ठीक ढंग से करता हैं, और Home work भी अच्छे
ढंग से करता हैं। तो हमें प्रत्येक Week में प्रतियोगिता करानी चाहिए। जो बच्चे कक्षा में प्रथम , द्वितीय व ततृय
आये उन्हें इनाम देना चाहिए। जिस से बच्चे पढ़ाई व अपने कार्य के प्रति सजग रहें।और इनाम पाने के लिए
तत्पर रहे।
Love
प्रेम, प्यार, स्नेह कई नामों से जाने वाला शब्द हैं। जो अपने अर्थ को इतना विशिष्ट बनाये हुए हैं। आज तक
बहुत सारे कवियों, साहित्यकारों ,लेखकों और अन्य सभी पथ्वीवासियों ने प्रेम शब्द का अर्थ एक लाईन या कुछ
शब्दों में बताना आज भी उतना ही जटिल हैं। जितना मानव के प्रादर्भाुर्भाव के समय था। इस प्रकार प्रेम को
परिभाषित करना आसान नहीं हैं। प्रत्येक मनष्य प्रेम की अलग अलग रूपरेखा बना सकता हैं। प्रेम की परिभाषा के
रूप मेंअलग- अलग हो सकते हैं। उसके प्रति नजरिया भी अलग हो सकते हैं। लेकिन प्रेम तो प्रेम ही होता हैं। प्रेम
रूपी बीज का अंकुर उस भावना रूपी उपजाऊ  भूमि में होता हैं।  मनुष्य  जन्म से ही प्रेम की चाहत रखता हैं। वह प्रेम के बिना जीना नहीं चाहता हैं। जसै ही बच्चे का जन्म होता हैं वह अपने माता पिता तथा दादा दादी से प्रेम करता
हैं। वह उनसे  दूर नहीं जाना चाहता हैं। जसै ही बच्चे की उम्र चार-पाँच वर्ष हो जाती हैं उसके बाद वह अपने भाई
-बहिन का प्यार उसे प्राप्त होता हैं। यही से ही व्यक्तियों के सस्ंकारो में व्यापकता आना प्रारंभ हो जाती हैं। तथा
प्रारंभिक  मूल्यों  के विकास में प्रेम की महत्वपर्णू भूमिका होती  हैं। उसके बाद व्यक्ति स्कूल तथा काँलेजो में अपने
मित्रों के साथ प्यार बाटता हैं, प्राप्त करता हैं। तथा प्यार के प्रति उसकी समझ गहरी होती हैं। उसके बाद व्यक्ति
अपने कार्य स्थल तथा पारिवारिक जीवन में भी प्रेम चाहता हैं। कहने का अर्थ हैं कि प्रेम जीवन प्रयत्न चलनेवाली
एक व्यापक अवधारणा हैं।

रोमांटिक रिश्ते में दो नाबालि क छात्र
न. 1 महत्वपर्णू  बात -   हमें  बच्चों को प्रेम के बारे में समझाना चाहिए। प्रेम वह होता हैं जो मन से मन का हृदय सेहृदय का होता हैं। जसै कि आप अपने माता पिता भाई बहिन व दादा दादी से करते हैं। इसे ही प्रेम कहते हैं। आप प्रेम शब्द का गलत अर्थ न ले। अगर कोई छोटे बच्चे को उसके माता पिता बिना बताये इधर उधर चले जाते हैं। तो वह बच्चा कितना तड़पता हैं। इसेही प्रेम कहते हैं। हमें प्रेम का गलत अर्थ नहीं लेना चाहिए।
. 2- अध्यापक को, बच्चों को समझाना चाहिए - अध्यापक को, बच्चों को अपने पास  बुलाकर उन्हें समझाना
चाहिए और कहना चाहिए कि अभी आप नाबालिक हो। तम्हें अभी अच्छे और गलत में कोई अतंर नहीं दिखाई
देता हैं। आपको ये सब नहीं करना चाहिए। आपके पीछे आपके माता व पिता हैं। कभी आपने उनके बारे में सोचा हैं।
आपके माता पिता को आपसे कितनी उम्मीद हैं। जब उनको ये बात पता चलेगी तो क्या होगा। इसके बजाय आप
कुछ ऐसा अच्छा कार्य जो  दुनिया  के लिए मिशाल बन जाए। तब आपके माता पिता का सिर कितना ऊँचा हो
जाएगा। ये सब बातें हमें बच्चों को प्यार से समझाना चाहिए।

-Chandra Prakash@JMMS, John Martyn Memorial School, Salangaon, Dehradun 

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