एक समय था जब लोग सकारात्मकता को केवल एक पुस्तकीय बात समझते थे। परंतु वर्तमान समय में लोगों का नजरिया बदला है। कहा जाता है खुशी के पलों की अपेक्षा विपद के पल बहुत कुछ सिखा जाते हैं। सकारात्मकता एक उम्मीद की तरह है और एक छोटी सी उम्मीद हमें भीषण संकट से भी उबार सकती है।
वर्तमान समय में जो महामारी चल रही है इस दौरान कई किस्से या घटनाएँ हमें पढ़ने या सुनने को मिल रही है। सकारात्मक सोच की वजह से गंभीर रूप से बीमार व्यक्ति भी स्वस्थ हो गया। ऐसे ही कई बच्चों के उदाहरण भी सामने आते हैं जो सकारात्मकता की वजह से पूर्ण स्वस्थ हो गए। इसके विपरीत, नकारात्मक भावना रखने वाले कई मरीज उपचार मिलने के बावजूद भी सुखद समाचार न दे पाए।
अभी परिस्थितियाँ विकट है। लगभग हर परिवार आर्थिक या मानसिक या व्यक्तिगत सेहत संबंधी समस्याओं से गुजर रहा है और जूझ रहा है। सकारात्मक सोच वाला व्यक्ति आने वाले कल के लिए चिंतन करेगा किंतु नकारात्मक व्यक्ति बीते हुए कल का सोचेगा। बीते हुए कल में जिन कठिनाइयों- समस्याओं को झेला है उन्हें याद करके और अधिक दुःख का अनुभव करेगा। किंतु सकारात्मक सोच वाला व्यक्ति हमेशा आने वाले कल को कैसे बेहतर बनाया जा सके इस पर चिंतन करेगा।
जो लोग समय के साथ बदलने की उम्मीद रखते हैं वे लोग सकारात्मक होते हैं। जो लोग स्वयं को बदलने के लिए तैयार नहीं होते हैं वे परिस्थितियों और चुनौतियों का सामना नहीं कर पाते हैं। वर्तमान में चल रही महामारी के संक्रमण के फैलाव के लिए हम दूसरों को दोष देते हैं। किंतु यदि हर व्यक्ति अपनी जिम्मेदारी को कर्तव्य समझकर निभाए तो उम्मीद की किरण अवश्य नजर आएगी।
कहा जाता है समय एक सा नहीं रहता। यह कठिन समय भी ढल जाएगा किंतु हमें सकारात्मक सोच के साथ उम्मीद को जगाए रखना चाहिए। समय के साथ सामंजस्य और संतुलन बनाए रखना महत्वपूर्ण है। एक नन्हा सा दीपक संपूर्ण जगत को उजाला नहीं दे सकता किंतु एक घर में तो उजाला कर सकता है। इसे ध्यान में रखकर चुनौतियों का सामना सकारात्मकता के साथ करें। नया दिन, नई उम्मीद के साथ अवश्य आएगा।
Krishan Gopal
The Fabindia School, Bali
kde@fabindiaschools.in
No comments:
Post a Comment