“गुरु: ब्रह्मा गुरु: विष्णु, गुरु:.देवो महेश्वर:
गुरु:.साक्षात् परब्रह्म, तस्मै श्री गुरवे नमः”।
यह गुरु ब्रह्मा विष्णु और महेश की तरह होते हैं। गुरु ईश्वर का दिया वह उपहार है जो बिना स्वार्थ के मार्गदर्शन करता है। गुरु का जीवन में होना
विशेष मायने रखता है गुरु हमारे दुर्गुणों को हटाता है गुरु के बिना हमारा जीवन
अंधकारमय होता है अंधेरे में जैसे हम कोई चीज टटोलते हैं, और नहीं मिलती है वैसे गुरु के बिना जिंदगी अंधकारमय बन जाती है। जहाँ ज्ञान व
संस्कार कुछ भी सीखने व पाने जैसा नहीं होता है।
गुरु:.साक्षात् परब्रह्म, तस्मै श्री गुरवे नमः”।
गुरु हमें अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाता है। माता-पिता हम सभी के प्रथम गुरु होते हैं परंतु एक आध्यात्मिक गुरु का होना जीवन का मार्ग बदलने की तरह होता है। गुरु इस संसार का सबसे शक्तिशाली उपहार होता है। हम कोई भी विद्या बिना गुरु अर्जित नही कर सकते है। विभिन्न क्रिया-कौशल सीखने के लिए अलग-अलग गुण के गुरु की आवश्यकता होती है।
गुरु शिष्य की परंपरा सदियों से चली आ रही है इस परंपरा का पालन करने वाला ही सच्चा गुरु व शिष्य कहलाएगा तथा तभी उसका जीवन सार्थक वह गौरवशाली बन पाएगा। गुरु को अपनी मर्यादा पालते हुए आध्यात्मिक शिक्षा प्रदान करनी चाहिए और अगर शिष्य गुरु के प्रति समर्पित होकर शिक्षा लेता है तो कोई बाधाएँ उन्हें रोक नहीं सकती और वह एक महान लक्ष्य को हासिल करता है।
Jyoti Sain
The Fabindia School, Bali
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