रूचि के अनुसार व्यवसाय: कृष्ण गोपाल दवे

वर्तमान समय में व्यवसायों की कोई कमी नहीं, जब बच्चा इस जगह पर आता है तब उसके सामने जीविकोपार्जन के लिए किए जाने वाले व्यवसायों की भरमार रहती है। ऐसी परिस्थिति में उसका भ्रमित हो जाना भी स्वाभाविक है। व्यवसाय का चुनाव करने में वह धन को महत्व दे सकता है। जैसा कि आज माना जाता है कि वही व्यक्ति सफल है जिसके पास जीवन गुजारने के लिए अच्छा खासा धन है।

किंतु इन सब के विपरीत हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि व्यवसाय के चयन में भी हमारी रुचि महत्वपूर्ण है। जब हम कोई काम रुचि को ध्यान में रखते हुए चुनेंगे तो वह हमारे लिए बड़ा लाभकारी सिद्ध हो सकता है। क्योंकि रुचि से किया गया काम प्रगति की तरफ ले जाता है। जिस व्यवसाय में रुचि होगी वहाँ पर प्रगति भी होगी। हम अपने व्यवसाय में नए नए आयाम जोड़ते जाएँगे। यही एक महत्वपूर्ण बात है कि हम कभी अपने व्यवसाय से ऊबेंगे नहीं, सतत निरंतर प्रयास करते जाएँगे और जीवन के हर पड़ाव पर उतना ही जोश रहेगा। 


यदि व्यवसाय के चयन में केवल धन को महत्व दिया गया है तो हो सकता है एक निश्चित समय के पश्चात हम उस काम से ऊब जाएँगे। हमारी दिलचस्पी कम होती जाएगी। वह समय ऐसा होगा जब हम अपना व्यवसाय नहीं बदल सकेंगे, ऐसी परिस्थिति में पश्चाताप के सिवाय कुछ हाथ नहीं आएगा।


निश्चित रूप से धन का महत्व है। जीवन में पैसा होना भी आवश्यक है किंतु धन और रुचि दोनों को मिलाकर यदि व्यवसाय का चुनाव करें तो सफलता अवश्य मिलेगी। 


एक समय था जब पढ़ाई पूरी करने के बाद व्यक्ति सोचता था कि उसे कौन सा पेशा अपनाना चाहिए। किंतु आज के समय में बच्चा माध्यमिक शिक्षा प्राप्त करते हुए ही अपना व्यवसाय चुन लेता है। कई बार व्यवसाय चयन में माता पिता अपनी इच्छाएँ थौंप देते हैं, जो आगे चलकर बच्चे के लिए घातक हो सकती है इसलिए बच्चे को अपनी रुचि के अनुसार व्यवसाय चयन करने दे। साथ ही साथ व्यवसाय चुनने के लिए उसे पर्याप्त समय प्रदान करें। 


Krishan Gopal Dave 

The Fabindia School 

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