जीवन मे शिक्षा का महत्व - उस्मान गनी

इल्म, ज्ञान, शिक्षा व नॉलेज शब्द एक दूसरे के पर्यायवाची है। देखने में सभी शब्द बहुत छोटे हैं मगर इन्ही शब्दों के सहारे पूरी दुनिया चल रही है। यदि एक मिनट के लिए सोचा जाए कि दुनिया से इल्म या ज्ञान पूरी तरह से खत्म हो जाए तो क्या होगा ? तुम तुम्हारे और हम हमारे ! यानि किसी का किसी से कोई लेना-देना ही नहीं होगा। दुनिया पूरी जंगल बन जाएगी और फैल जाएगा जंगलराज। इसलिए इल्म या ज्ञान इंसान के लिए बेपनाह जरूरी है। एक सामान्य जिन्दगी जीने के लिए इंसान को रोटी, कपड़ा और मकान के अलावा अगर किसी चीज की सबसे ज्यादा जरूरत होती है वह है ज्ञान।  क्योंकि ज्ञान वह बैसाखी है जिसके सहारे इंसान,  इंसानियत का तरीका सीखता है। 

जाहिल इंसान और अनपढ़ इंसान जानवरों से बदतर जिंदगी गुजारते है।  जब तक इंसान के पास ज्ञान या इल्म नहीं है वह तरक्की की राह पर आगे नहीं बढ़ सकता है। मगर इल्म हासिल करने वाला अवश्य ही तरक्की की मंजिलों को तय करता हुआ बुलंदी हासिल करता है। यानि इल्म वो शमां है जो इंसान की जिंदगी की राह को रोशन करती है जिसके ज्ञान के ऊजाले के सहारे इंसान हर तरह से अपनी जिंदगी रोशन करता है। इसलिए इंसान को जहां से भी जो इल्म मिले उसे हासिल करते रहना चाहिए क्योंकि इल्म से ही बुलंदी नसीब होती है। इसलिए कहा गया है -
'खुदी  को  कर  बुलंद इतना कि हर तकदीर से पहले खुदा बंदे से खुद पूछे तेरी रजा क्या हैI'

ज्ञान वह इनवेस्टमेंट हैं जिसका मुनाफा जीवन के अंत तक मिलता रहता है। यानि दुनिया की हर वस्तु खर्च करने के बाद अवश्य खत्म होती है। मगर शिक्षा या इल्म ऐसा धन है जिसे जितना अधिक खर्च किया जाएगा वह उतना ही अधिक बढ़ता जाएगा । दुनिया की हर वस्तु की चोरी हो सकती है मगर ज्ञान ऐसा धन है जिसकी कभी चोरी नहीं हो सकती। ज्ञान में कमी तभी हो सकती है जबकि इसे खर्च नहीं किया जाए या इकठ्ठा  करके रखा जाए। इसलिए ज्ञान को बांटते व हासिल करते रहना जरूरी है।

आज के दौर की हर कौम के मुखिया के साथ-साथ परिवार के मुखिया के लिए यह जरूरी हैं कि वे खुद अगर अच्छी शिक्षा नहीं पा सके हैं तो कोई बात नहीं मगर अपने बच्चों को उन्हें पूरी कोशिश कर अच्छी शिक्षा देने के लिए आगे आना चाहिए। केवल सोचते रहने से कुछ नहीं होगा, आगे बढ़कर पहल भी करनी पड़ेगी। इस पहल को अंजाम देने के लिए चाहे घर में दो निवाले कम खाए मगर अपने बच्चों को जरूर पढ़ाए। क्योंकि
'सोचने से कहां मिलते  हैं तमन्नाओं के शहर, चलना भी जरूरी है मंजिल को पाने के लिए।'
*धन्यवाद*
उस्मान गनी

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