परिवर्तन - Krishan Gopal

परिवर्तन प्रकृति का महत्वपूर्ण अंग है। जब प्रकृति में परिवर्तन होता है तो कोई भी प्राणी इस परिवर्तन से अछूता
नहीं रह जाता। यह आवश्यक हो जाता है कि वह प्रकृति के साथ सामंजस्य स्थापित करें तथा उसके अनुकूल बनाने का प्रयास करें। प्रकृति को अपने अनुसार मोड़ने की भूल कदापि न करें। जब प्रकृति के साथ छेड़छाड़ होने लगती है तब प्रकृति अपना रौद्र रूप दिखाती है।
मनुष्य भी इस परिवर्तन का एक अंग है अतः हर क्षेत्र में समय-समय पर परिवर्तन होते रहते हैं। न  केवल प्रकृति  वरन अन्य कई क्षेत्रों में भी परिवर्तन होते हैं। बात करें तो रहन- सहन, खानपान आदि से लगाकर शिक्षा तक परिवर्तन दृष्टिगोचर होता है। इन होने वाले परिवर्तनों के लिए हमें तैयार रहना चाहिए तथा चुनौतियों को स्वीकार करने की क्षमता होनी चाहिए। 
प्राचीन युग से लगाकर आज तक शिक्षा के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण परिवर्तन होते रहे हैं। गुरुकुल में आचार्य बिना पाठ्य-पुस्तकों के अध्ययन करवाते थे। छात्र स्वयं भी अपनी योग्यता के अनुसार प्रदर्शन करते थे। धीरे धीरे परिवर्तन होते गए। परिवर्तनों का कारण कुछ भी हो सकता है यथा- विदेशी आक्रमण, समय की मांग या फिर विदेशियों की गुलामी। 

शिक्षा महत्वपूर्ण घटकों में से एक है। जिस प्रकार जैसी आवश्यकता लगी उसके अनुसार समय-समय पर परिवर्तन होते गए। कहते हैं- ‘आवश्यकता आविष्कार की जननी है।’ अर्थात जैसी आवश्यकता महसूस हुई, नई रीति या प्रणाली अपनाई गई। शिक्षा प्रदान करने के तरीकों में भी अंतर आया है। आज पूरा विश्वास कोरोना महामारी से  ग्रसित है। पाँच महीनों से भी अधिक का समय हो गया है विद्यालय खुल नहीं पाए। संक्रमण का खतरा देखते हुए सरकार द्वारा कोई निर्देश इस संबंध में नहीं मिल रहे हैं। किंतु इस चुनौती को स्वीकार किया और हाथ पर हाथ धरे बैठे नहीं रह गए। 

एक बार पाँच महीने पहले की स्थिति पर गौर करते हैं। पढ़ाने में टेक्नोलॉजी का बहुत कम मात्रा में प्रयोग हो रहा था। न ऐसा सोचा था कि टेक्नोलॉजी का उपयोग इस तरह से, इतने बड़े पैमाने पर करना पड़ेगा। किंतु समय के साथ सब कुछ बदला शिक्षक, बच्चे और अभिभावक सभी पूर्ण मनोयोग से इस कार्य में जुट गए। शिक्षा पूरी तरह से टेक्नोलॉजी पर निर्भर हो गई। ऑनलाइन क्लास से बच्चों के घर तक पहुँच गए है। 

जहाँ किसी तरह की खुद में कमी देखी, उसे दूर करने का प्रयास किया। टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में जो वर्षों से नहीं सीखा था, वह कुछ महीनों में सीख गए और उसका उचित उपयोग भी करने लग गए। नए काम में कई प्रकार की चुनौतियाँ सामने में आती है लेकिन शिक्षक-छात्र और अभिभावकों ने मिलकर इन चुनौतियों को दूर किया। शिक्षा के क्षेत्र में इसे बहुत बड़ा बदलाव या क्रांति कहा जा सकता है। हो सकता है कुछ चुनौतियाँ अभी भी रही हो किंतु यह हर्ष का विषय है कि इस बदलाव में सभी का योगदान रहा। इस बदलाव को स्वीकार भी करते जा रहे है। 

Krishan Gopal 
The Fabindia School
kde@fabindiaschools.in

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