संघर्ष ही जीवन है - सुरेश सिंह नेगी

जीवन एक संघर्ष  है जो अंत में विजय का द्वार खोलती है और समस्या का समाधान करती है। जीवन में परिवर्तन
का क्रम चलता रहता है। जब तक जीवन है तब तक संघर्ष है।संघर्ष का दौर तो हमारे इस दुनिया में हमारे  जन्म लेने के साथ ही शुरू  हो जाता है। जब हम छोटे थे उस समय हमें सही से चलने और बोलने के लिए  संघर्ष  करना पड़ता था। जब बड़े हुए तो पढाई के लिए संघर्ष, उसके बाद नौकरी के लिए संघर्ष ‘इसलिए जब तक जीवन  है हमें संघर्ष करते हुए जीना होता है। जीवन  हमेशा आसानी से नहीं गुजरता, हर दिन कोई न कोई चुनौती, कोई न कोई, संघर्ष जीवन  में आता है और आता रहेगा।

ऐसा कोई नहीं हैं जिसके जीवन   में चुनौतियाँ  न हों, दुःख न हों, कठिनाई न हों, रुकावटें न हों। चुनौतियां केवल बुलंदियों को छूने की नहीं होतीं, बल्कि वहां टिके रहने की भी होती हैं। इस दुनिया में हर एक प्राणी संघर्ष कर रहा है।   यह ठीक है कि एक काम करते-करते हम उसमें कुशल हो जाते हैं। उसे करना आसान हो जाता है, पर वही करते रह जाना हमें अपने ही बनाई सुविधा के घेरे में कैद कर लेता है। 

 संघर्ष काल में हमें यह बात हमेशा ध्यान में रखनी चाहिए कि व्यक्ति के स्वयं के हाथ में कुछ नहीं है। लेकिन उसे लगातार प्रयास करते रहना चाहिए।   क्योंकि प्रयास सफलता की कुंजी होती है।

हमें जीवन में संघर्षो का स्वागत करते रहना चाहिए। बिना संघर्ष किए जीवन के लक्ष्य प्राप्त नहीं किये जा सकते। कहते हैं कि संघर्ष करने वालो की कभी हार नहीं होती। 

संघर्ष से व्यक्ति का व्यक्तित्व निखरता है। ऐसे व्यक्ति सकारात्मक सोच वाले व्यक्ति होते है जो अपने आसपास के वातावरण से ही उस सकारात्मकता को ग्रहण करते है। हमें भी अपने सभी पहलुहों से सकारात्मकता ग्रहण करनी चाहिए। हमें अपना दृष्टिकोण बदलना चाहिए और अपने अंदर सकारात्मकता विकसित करनी चाहिए। 

सुरेश सिंह नेगी
The Fabindia School
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