गुणवत्ता और स्नेह: उषा पंवार

गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का मतलब ऐसी शिक्षा है जो हर बच्चे के काम आए इसके साथ ही हर बच्चे की क्षमताओं का संपूर्ण विकास हो। विद्यालयों में छात्रों की संख्या बढ़ाने के साथ शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ाना चाहिए। शैक्षिक गतिविधियों को अधिक जोर देना चाहिए। अच्छी गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा का माहौल होना चाहिए।

प्रेम-धरती पर रहने वाले सभी व्यक्ति, जीव-जंतु प्रेम महसूस करते हैं और प्रेम, वात्सल्य के मोहताज होते हैं। मानवता ही प्रेम व संयम का पाठ पढ़ाती हैं। मानवता, इंसान के साथ साथ संपूर्ण परिवेश से प्रेम करना सिखाती है। प्रकृति की गोद में पल रहे सभी प्राणी प्रेम की कामना करते हैं। प्रेम ही ईश्वर है सभी प्राणियों से सच्चा प्रेम करना ही ईश्वर से प्रेम करना है। किसी के प्रति ईर्ष्या, नफरत नहीं रखना चाहिए।

प्रकृति बहुत सुंदर है प्रकृति की सच्ची सुंदरता और शक्ति का अनुभव उसके साथ एक होने से ही हो सकता है। प्रकृति हमसे उतना ही प्यार करती है जितना हम प्रकृति से प्यार करते हैं। हमें भी प्रकृति की तरह नि:स्वार्थ भाव से दूसरों से प्रेम करना चाहिए।

एक शिक्षक बच्चों के प्रति प्यार की भावना रखता है उसे छात्रों द्वारा प्यार मिलता है और जो कठोर होते हैं उन्हें कोई भी पसंद नहीं करते हैं। अतः प्यार एक खूबसूरत एहसास है।

विशेष रूप से छोटे बच्चे विद्यालय में आते हैं तो बच्चे घर का प्यार ममतामय वातावरण छोड़कर एकाएक विद्यालय में आता है, वह घर से भाई-बहन, माता-पिता से पाने वाले प्यार स्नेह को जब विद्यालय में नहीं पाता तो उसे विद्यालय में अच्छा नहीं लगता और घर जाने को लालायित होता हैं। अतः विद्यालय में शिक्षक को बच्चे के प्रति मधुर होना, प्यार से बातें करना, खेलना आदि करना चाहिए। खेल खेल में ज्ञान बढ़ाना चाहिए। शिक्षक अपने छात्र को बिना किसी अपेक्षा के पढ़ाते हैं। प्यार सबसे महान गुण है।

Usha Panwar

The Fabindia School

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