रिश्तों का महत्त्व - Ayasha Tak

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मनुष्य जीवन रिश्तों से जुड़ा हुआ है। रिश्तों के कारण ही मनुष्य जीवन में आगे बढ़ने की , सफलता पाने की , शिक्षित होने की , कार्य करने की इच्छा रखता है। यदि रिश्ते मजबूत हो तो जीवन खुशहाल व सुखमय बन जाता है, लेकिन रिश्तों में खटास आते ही व्यक्ति भी टूट जाता है। रिश्तों में अपनेपन की भावना की खातिर ही व्यक्ति एक - दूसरे पर मर - मिटने तक को तैयार हो जाते हैं। 

एक माँ के अंदर शुरू से ही अपने बच्चे के प्रति बेहद अपनेपन की भावना कायम हो जाती है। उसे अपना बच्चा सारी दुनिया में सबसे प्रिय व सुंदर लगता है। मनोवैज्ञानिक भी यह मानते हैं कि अकेले व्यक्ति को भौतिक , भावनात्मक , मानसिक व आर्थिक सहयोग नहीं मिल पाता है। करीबी रिश्तेदारों एवं मित्रों से व्यक्ति अपने मन की वे सारी बातें करते हैं , जिन्हें वे अन्य व्यक्तियों से नहीं कर पाते हैं। 

रिश्तेदार व परिवार व्यक्ति के बुरे समय में साथ खड़े रहते हैं। ऐसे में अकेले व्यक्ति की पीड़ा पूरे परिवार और रिश्तेदारों की पीड़ा बन जाती हैं। वे एकजुट होकर मुसीबत से लड़ते है और मुसीबत को दूर भगा कर कामयाबी हासिल करते है। दोस्त रिश्तेदार और परिवार दुआ भी बन जाए इसके लिए व्यक्ति को प्रेम , दुआ , विनम्रता और मदद का मार्ग पकड़ लेना चाहिए। इससे ये बंधन मजबूत होकर जीवन को सशक्त , रोगहीन व सफल बनाने में निर्णायक भूमिका निभाते है।

 रिश्ते निभाना भी समझौते का दूसरा नाम है। रिश्ते केवल खून के ही नहीं होते हैं , भावनात्मक भी होते हैं। कई बार भावनात्मक रिश्ते अटूट बन जाते हैं , क्योंकि उनमें प्रेम , सामंजस्य , धैर्य और ईमानदारी का साथ होता हैं।
  
Ayasha Tak
The Fabindia School
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