जिम्मेदारी और सहयोग: राजेश्वरी राठौड़


मनुष्य के जीवन में जिम्मेदारी का बहुत महत्व है। उससे भी जरूरी है जीवन में मिलने वाली जिम्मेदारियों को सही तरीके से निभाना अगर बचपन से ही छोटे-छोटे काम करें और उनका महत्व समझे तो वह थोड़ा बड़े होने पर अपने काम के प्रति जिम्मेदार बन जाएगा। यह जिम्मेदारी शुरू से बालक के संस्कार में आनी चाहिए

शिक्षकों द्वारा भी छात्रों में जिम्मेदारी से कार्य करने की आदत डालनी चाहिए जिससे वह आगे चलकर जिम्मेदारी पूर्वक कार्य करें जैसे- कक्षा में शिक्षक द्वारा बच्चों को काम दिया जाता है, बच्चे उसे अपनी जिम्मेदारी समझ कर पूरा करके दिखाते हैंऐसे ही घर में, छोटे-छोटे काम माता-पिता द्वारा बताया जाना चाहिए, जिससे कि बालक की शुरू से ही काम करने की आदत पड़ जाती हैं

वह शुरू से ही कार्य में रुचि लेगा, तो उसमें जिम्मेदारी की भावना आएगी अपने कर्तव्य को अच्छी तरह से निभाएगाखुद के प्रति जिम्मेदार होगा, तब ही परिवार के प्रति जिम्मेदार होगा और अपने परिवार का पूरा ख्याल रख सकेगाइसी तरह समाज के प्रति बालक कार्य करेगा तो जिम्मेदारी निभाएगाइसी तरह शिक्षा के माध्यम से एक अच्छा नागरिक बन कर देश की सेवा कर सकता है। इसलिए मनुष्य को जिम्मेदारी समझकर हर कार्य को रुचि से करना चाहिएउसे पूर्ण रूप से निभाना चाहिएइससे आगे चलकर वह अपने देश का नाम रोशन कर सकते हैं

हयोग का अर्थ है मिलजुल कर कार्य करना मनुष्य एक सामाजिक प्राणी हैउसे समाज में जीने के लिए मिलजुल कर रहना सीखना चाहिए और यह भावना हम छात्रों में विद्यार्थी जीवन में ही उत्पन्न कर सकते हैंहयोग की भावना एक छात्र में जिम्मेदारी का भाव उत्पन्न करती है, साथ ही अन्य नैतिक मूल्यों के विकास को भी प्रोत्साहन देती है

संगठित होकर कार्य करने से छात्र-छात्राएँ अभिमान रहित और विनम्रता पूर्वक कार्य करना सीखते हैं, जो उनके विवेक को विकसित करता है। सहयोग पूर्वक कार्य करने से, विद्यार्थियों, शिक्षकों और अभिभावकों में रिश्ता जुड़ता है। इसी की नींव पर एक शैक्षणिक संस्थान स्थापित होता है इसलिए मिलजुल कर रहना चाहिए व कार्य करना चाहिए   
Rajeshwari Rathore
The Fabindia School, Bali

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