जिम्मेदारी एवं सहयोग: आयशा टॉक


एक जिम्मेदार व्यक्ति की जिम्मेदारी उसके घर-परिवार, कार्यक्षेत्र एवं उसके देश के लिए भी जरुरी होती है। हम किसी भी समस्या की शिकायत करके उससे बच नहीं सकते हैं, किन्तु जिम्मेदारी उठाकर समस्या को कम जरूर किया जा सकता है। किसी भी कार्य को अगर हम अपनी जिम्मेदारी मानकर बार-बार प्रयास करेंगे तो हम सफल जरुर होंगे। जिम्मेदारी से हमारा व्यवहार भी बदलता है। 

हमारे अंदर किसी भी जरूरतमंद की मदद करने की भावना जाग्रत होती है और हमारे ज्ञान में भी वृद्धि होती है। छात्रों की जिम्मेदारी होती है कि उनको कक्षा में जो भी पढ़ाया जाता हैं वे उसे ध्यान से पढ़े एवं उसका जवाब दें। विद्यालय की निजी संपत्ति की देखभाल करना भी छात्रों की जिम्मेदारी होती हैं। विद्यार्थी जीवन से ही अगर जिम्मेदारी लेने की आदत बन जाती है, तो वह जीवनपर्यन्त बनी रहती है। जिम्मेदारियाँ लेने की आदत व्यक्ति को अपने देश के लिए एक अच्छा नागरिक बनाती है। 

सहयोग मानव का कर्त्तव्य है। प्रायः मानव दूसरों से सहयोग तो चाहता है, पर दूसरों के लिए त्याग करना नहीं चाहता। उसे सदा स्मरण रखना चाहिए कि मानव समाज की नींव पारस्परिक सहयोग ही है। किसी भी संस्था के परिणामों को बेहतर बनाने के लिए सहयोग की भावना बेहद जरूरी होती है।

संकटपूर्ण स्थितियों में सहयोग की भावना से किया गया कार्य सफलता को सुनिश्चित करता है। यह वह स्थिति होती है, जिसमें सभी की जीत होती है। उदाहरणस्वरूप जैसे - कभी किसी कक्षा में कोई अध्यापक किसी गतिविधि या प्रतियोगिता का आयोजन करता है। तो उस कक्षा के सारे विद्यार्थी अलग-अलग जिम्मेदारियाँ लेकर एवं सहयोग से मिल-जुल कर एवं एक- दूसरे की भावनाओं की कदर करते हुए समूह में कार्य करेंगे, तो उनका कार्य अधिक उत्तम एवं सफल होगा। 
Ayasha Tak
The Fabindia School, Bali

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