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विनम्रता और प्रशंसा: कुसुम डाँगी


विनम्रता का अर्थ है किसी के मन को ठेस ना पहुँचाना, किसी से इज्ज़त या सरलता से बात करना भी विनम्रता हैं। इस शब्द के कई मतलब हो  सकते है, जैसे - अंहकार, घंमड ना करना अगर आप किसी भी ऊँचे पद पर हो फिर भी हर कर्मचारी के साथ सरलता से बात करते हो, उनकी समस्या को समझते हो, ये भी विनम्रता है।

विनम्र व्यक्ति हर जगह सम्मान का पात्र बनता है और लोग उनकी बातों  को ध्यान से सुनते हैं। ऐसे लोगों में धैर्य भी अधिक होता हैं, जिससे वे सफलता को आसानी से प्राप्त करते हैं। यदि आप विनम्र होंगे तो दूसरों  के साथ आपका रिश्ता भी अच्छा होता हैं। कभी बच्चों को उनकी मनपसंद चीज़ चाहे ना मिले तो भी वे शिकायत नहीं करेंगे बल्कि जो उनके पास हैं, उसी में खुश रहेंगे जिससे वे संयम से जीना सीखेंगे। और ऐसे लोगों को मन की शांति भी मिलती हैं।

जिस प्रकार दूसरों को अपना समय, धन, या सलाह देकर उनका भला करते हैं। उसी तरह प्रोत्साहित करके भी भला कर सकते हैं। जब कोई इंसान कोई कार्य करता हैं, उसमें अगर उसको दूसरों से प्रशंसा मिल जाती हैं तो वह इंसान अगली बार वह उससें भी बेहतर करने की कोशिश करता हैं और अधिक मन लगाकर काम करता हैं।

विनम्रता और प्रशंसा दोनों ही बच्चों के लिए आवश्यक है। ऐसे लोगों में अंहकार नहीं होता है जिससें वे दूसरों की खुलकर प्रशंसा करते हो और दूसरों को बेहतर भविष्य निर्माण में योगदान देते हैं।

"अपने आपको कम सोचना नहीं बल्कि अपने बारे में कम सोचना विनम्रता हैं"
Kusum Dnagi
The Fabindia School, Bali

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