सकारात्मक सोच - जफ्फर खां

इस वक्त दुनिया भर में  कोरोना वायरस के बढ़ते खतरे के बीच मे अपने-अपने घरों में बंद हैं अगर हम  सोच रहे हैं कि घर में बैठकर भी क्या कुछ नया कर सकते हैैं यह कहानी आइजेक न्यूटन की हैबात है 1661की जब आइजेेेक न्यूटन  ने केम्रिज यूनिवर्सिटी में एडमिशन लिया  था | जब ये जाते थे कॉलेज में पढ़ने तो सोचा करते थे की सैलेबस आउटडेटेड नहीं है कुछ नए रिसर्च नहीं है कुछ नया करने की सोचते थे पर समय नहीं मिल पाता था

1665 दुनिया में फैल गई ब्यूबोनिक महामारी चलते समय सेट डाउन होने लगा और लॉक डाउन होने लगा और आज वाली स्थिति तब बन गई थी | तब केम्रिज  यूनिवर्सिटी में भी छुट्टियां हो गई तब आइजेक न्यूटन  को घर जाना पड़ा था वो बुल्सटॉप नगर पहुंचे तो सेल्फ आइसोलेशन में चले गए हम सब की तरह अपने -अपने घरों में बंद हो गए और यह सोचने लगे कि अब मैं कुछ नया कर सकता हूं एक दिन वो बगीचे में घूम रहे थे तो उन्होंने देखा सेब नीचे गिरा पेड़ से सेब नीचे गिरा और तब उन्होंने सोचा कि यह Apple  नीचे क्यों गिरा ऊपर क्यों नहीं गया

तब उन्होंने दुनिया को दिया यूनिवर्सल लॉ आफ ग्रेविटी उस वक्त जब नकारात्मकता फैली हुई थी | आइजेक न्यूटन ने अपने अंदर से  पॉजिटिविटी लाकर के कर दिखाया | यह छोटी सी कहानी आज हमें सिखाती है कि जिस हालात में हम हैं सब को पॉजिटीव रहना है ,खुश रहना है अच्छी-अच्छी बातें सोचनी हैं और सोचना है कि अपने बारे में आपको ऐनेलाइज करना है वो वक्त आपको मिल चुका है | जिससे आप अपने बारे में सोचें भागती दौड़ती दुनिया में हम सब भाग रहे थे लेकिन अपने आपको परिवार को वक्त नहीं दे रहे थे |

विद्यार्थियों को कहना चाहूंगा कि आप लोग सैलेबस को पढ़ पढ़ कर बोर हो गए हो तो अब इंटरनेट के माध्यम से सीखने का समय चुका है इसका सदुपयोग करना चाहिए और आत्मविश्वास रखकर कुछ नया आविष्कार करना चाहिए जिससे दुनिया में आपका नाम हो।  इस कहानी से  सीख  लेंनी चाहिए कि वक्त कैसा भी हो हमें अपनी सोच को हमेेेशा सकारात्मक रखना चाहिए  |     

- जफ्फर खांद फैबइंडिया स्कुल  

Blog Archive