ईमानदारी और सम्मान: उषा पंवार

 ईमानदारी से सम्मान पाना, सम्मान करके आशीर्वाद का अनंत खजाना पाना यही इंसान का श्रेष्ठ कर्म धन हैईमानदारी से सच्ची कामयाबी मिलती है जिसको सही ढंग से पूर्ण निष्ठा एवं सच्चाई से पूरा किया जाए वही कर्म इंसान की मानदारी होती हैव्यापार हो, नौकरी हो या किसी से लिया गया उधार एवं इंसान के कर्तव्य यदि निष्ठा-सच्चाई से किया जाए तब ही इंसान को ईमानदारी के साथ सम्मान भी मिलता है

ईमानदारी किसी प्रकार का भार नहीं है जिसे उठाने में शक्ति या साहस की जरूरत हो या कोई बंधन या त्याग नहीं है। ईमानदारी से किए गए कार्य के प्रभाव से मनुष्य परिवार, समाज, हर क्षेत्र में सम्माननीय व विश्वासपात्र बनता है। ईमानदार व्यक्ति को सभी का सहयोग मिलता है और पुरस्कार से सम्मानित किया जाता हैकोई व्यक्ति आयु में बड़ा हो या छोटा अमीर हो या गरीब सम्माननीय व्यक्ति को कोई अंतर नहीं पड़ता जो व्यक्ति बड़ों का आदर, पशु-पक्षी, पेड़-पौधों आदि के साथ सहानुभूति पूर्ण व्यवहार करने के लिए तैयार रहता है वही व्यक्ति सच्चे सम्मान का अधिकारी बनता हैईमानदारी से आत्म-शांति और आत्म-सम्मान मिलता है जो इंसान को मजबूत बनाता है

समय की पाबंदी, मेहनत, ईमानदारी, कर्तव्य परायणता यह सब शिक्षक के वे औजार हैं जिनकी मदद से वह बच्चे का जीवन बनाते हैं, उसे अंधकार से रोशनी की ओर ले जाते हैं। शिक्षा के साथ-साथ उनमें संस्कारों को भी भरते हैशिक्षक की ईमानदारी का मतलब यह नहीं है कि उसे समय पर स्कूल आना चाहिए, बल्कि अपने विषय का पर्याप्त ज्ञान होना, अपने अध्ययन कार्य में प्रयत्नशील रहना चाहिए। विद्यार्थियों को इस बात से अवगत करा दिया जाना चाहिए कि उनके शिक्षण का लक्ष्य क्या है? क्योंकि वह किसी पाठ् या विषय का अध्ययन कर रहे हैं उसकी उपयोगिता उनके लिए क्या है? इससे उन्हें अधिक रुचि मिलेगी और विषय की ओर, अधिक ध्यान देंगेईमानदार शिक्षक वही है जो बच्चों को किताबी ज्ञान नहीं देता बल्कि उनमें सद्गुणों का विकास करके सुखी समृद्ध देश बनाता है।   
Usha Panwar
The Fabindia School, Bali

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