ईमानदारी और सम्मान: कृष्ण गोपाल


जीवन में मूल्यों की अधिक आवश्यकता रहती है।  यदि हम विद्यार्थियों की बात करें तो उनके लिए मूल्यों का होना अत्यावश्यक है। इस पर भी उपर्युक्त मूल्यों से विद्यार्थी जीवन लक्ष्य को प्राप्त करेगा ही।  ईमानदारी और सम्मान दोनों ऐसे मूल्य है जो हर स्थान पर चाहिए ही। 

परन्तु खेल के मैदान में इसकी अधिक आवश्यकता जान पड़ती है। एक खिलाडी को खेल और दूसरे खिलाड़ियों के प्रति ईमानदारी रखनी पड़ती है साथ ही दोनों के प्रति सम्मान का भाव भी हो। एक खिलाडी इन मूल्यों को दूसरों में जाग्रत कर सकता है।  मैदान में खेलते हुए कई लोग उसे देखते है, वह ईमानदारी और सम्मान का परिचय दर्शकों को देता है, दर्शकों में से कई उसका अनुकरण करते है। वैसे भी बेईमानी से कभी-कभी लाभ मिल सकता है परन्तु लंबे समय तक नहीं।

परीक्षा में या कहीं और स्थान पर हमें नैतिक मूल्यों को सजीव रखने की आवश्यकता है। ये दौर प्रतियोगिता का है अतः सर्वप्रथम स्वयं के प्रति ईमानदार बने। एक शिक्षक के रूप में भी अपनी गलतियाँ स्वीकार करें और बच्चों को भी प्रेरित करें।  बच्चों के समक्ष सम्मानजनक भाषा का प्रयोग करें।  काम में कभी बेईमानी करें, सम्मान दें। जिस बात की हम अपेक्षा रखते है, वह पहले देनी भी तो पड़ेगी।

ये मूल्य व्यक्ति में आत्मविश्वास जगाते है और मानसिक तनाव को कम करने में सहायक है। ऐसे लोग अपने समाज में प्रतिष्ठा पाते हैं। यदि ह्रदय से सम्मान पाने की लालसा मन में है तो ईमानदारी से अपने कर्तव्यों का निर्वहन कीजिए। 
Krishan Gopal
The Fabindia School, Bali

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