
हम किसी से अपने धनबल बाहुबल या अन्य किसी प्रभाव से अपना दिखावटी आदर करवा सकते हैं परंतु सच्चा आदर प्राप्त करने के लिए हमें छोटे बड़े ऊंच-नीच पद को दृष्टिगत नहीं रखते हुए मानव मात्र का सम्मान करना चाहिए। हम किसी का निस्वार्थ भाव से सम्मान करते हैं तो प्रत्युत्तर में हमें भी आंतरिक ह्रदय से सम्मान प्राप्त होता है यही मानवीय गुण की सच्ची व्याख्या है।
Rajeshwari Rathore
The Fabindia School
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