धैर्य और साहस: राजेश्वरी राठौड़


धैर्य एक ऐसा गुण है जो कि अन्य महत्वपूर्ण गुणों को अपने आप में समाहित रखता है। जैसा कि सहनशीलता ,दयालुता समझने की शक्ति और सबसे अधिक महत्वपूर्ण किसी व्यक्ति की बात को सुनना चाहिए वह अपने विचारों के विपरीत ही क्यों ना हो। यह वह  शक्ति जो आपको अपने  संवेगो पर  नियंत्रण रखना सिखाती है। उदाहरण स्वरूप यदि आप अपना मत किसी बहस में रखना चाहते हैं और आप अत्यंत व्यग्र हो रहे हैं तब यदि आपने अपना धैर्य रखा तो आपकी बात को भी ध्यान पूर्वक सुना जाएगा।  धैर्य से समाज में  शांति सौहार्द  का भी विकास होता है साथ ही स्वयं के  मस्तिष्क  मे भी  शांति का अनुभव होता है। अत्यंत धीर, गंभीर व्यक्ति का सदियों से सम्मान होता आया है।

साहस  भय, दुखनिराशा में शक्ति का दूसरा रूप हैं।  एक साहसिक अभिवृत्ति व्यक्ति विशेष को आत्म गौरव से भर देती है। अतः एक शिक्षक के रूप में हमारे लिए यह अति आवश्यक है कि हमें हमारे विद्यार्थियों में साहस रूपी आत्मविश्वास  को उत्पन्न करें। यह विद्यार्थियों के लिए भी आवश्यक है कि वे भय का सामना करना सत्य बोलना सीखें। साहस से ही किसी व्यक्ति दूसरी कई  गुण उत्पन्न होते है इससे व्यक्ति में उत्साह बना रहता है और वह कर्म करने को प्रेरित रहता है। यह विद्यार्थी को मानसिक रूप से  भी शक्तिशाली बनाता है और वे हिम्मत नहीं हारते हैं।  एक शिक्षक कई  गतिविधियों द्वारा जैसे कहानी सुनाना जो कि साहस से भरी हो प्रेरक प्रसंग सुनाना ,किसी साहसिक यात्रा पर से जाकर छात्रों में यह साहस उत्पन्न कर सकते हैं।
Rajeshwari Rathore
The Fabindia School

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