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जिम्मेदारी और संगठन: कुसुम डांगी


जिम्मेदारी का अर्थ है जबाव देही और इसका दूसरा नाम है, कर्तव्य। किसी भी इंसान या वस्तु के  लिए हमारी जो जबाव देही होती है। वो ही हमारी जिम्मेदारी होती है। जीवन में जिम्मेदारियों का  होना बहुत आवश्यक है। उससे भी जरूरी है, उनको सही से निभाना प्रत्येक व्यक्ति के अन्दर  जिम्मेदारी स्वीकार करने की भावना होनी चाहिए। कुछ लोग अधिक जिम्मेदारियों से परेशान हो जाते हैं। उन लोगों को खुश होना चाहिए, क्योंकि ज्यादा जिम्मेदारियाँ उसी को मिलती है। जो उसे  सही से निभा सकता है।

  "जिम्मेदारियाँ उस इंसान की तरफ खिंची चली जाती है जो उन्हें कंधे पर उठा सकता है"
संगठन एक ऐसा संग्रह जिनकी गतिविधियाँ समान होती है, और विभिन्न संबंधों में इस प्रकार बँधे है कि एक व्यक्ति अपना लक्ष्य तभी प्राप्त कर सकता है, जब सब मिलकर काम करें। 

विद्यार्थियों की विद्यालय के प्रति जिम्मेदारियाँ -
कक्षा में हमेशा समय पर उपस्थित होना, अपना गृहकार्य समय पर पूरा करना, अपने समय का सदुपयोग करना और अपने से छोटे व बड़ों का सम्मान करना तथा अपने सहपाठियों के साथ अच्छा व्यवहार करना और सब एक साथ मिलकर कार्य करे तो कोई भी कार्य सरलता से किया जा सकता है और वो कार्य कम समय में पूरा हो जाता है। 

शिक्षकों के प्रति विद्यार्थियों का कर्तव्य है कि वह सभी का आदर करे तथा उनकी बातों को ध्यानपूर्वक सुनें वह अपने विद्यालय को उन्नत बनाने में योगदान करें तथा विद्यालय को स्वच्छ रखने में मदद करें और अन्य सहपाठियों को भी इसके लिए प्रेरित करें।

युवाओं की देश के प्रति भी जिम्मेदारी है कि कहीं कुछ गलत हो तो उसके खिलाफ आवाज़ उठाएँ। 
छात्रों को आगे बढ़कर जिम्मेदारियाँ लेनी चाहिए जिससें समझदारी बढ़ती है और उसे सही और गलत का ज्ञान होता है। जीवन में सफलता मिलती है, शुरुआत में कभी असफल हो भी जाओ तो निरंतर प्रयास से सफलता प्राप्त की जा सकती है। 
इससे इंसान का आंतरिक और बाहरी दोनों तरह का विकास होता है तथा आत्मविश्वास बढ़ता है।
Kusum Dangi
The Fabindia School, Bali


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