ईमानदारी और सम्मान: राजेश्वरी राठौड़

ईमानदारी एक बहुत ही मानवीय अभिवृत्ति है। यह गुण किसी भी व्यक्ति की आत्मा को सत्य, विश्वास और शुद्धता के भाव से परिपूर्ण कर देता है। साधारण अर्थ में ईमानदारी झूठ नहीं  बोलना  और सत्यता पूर्ण जीवन जीना होता है। एक शिक्षक के रूप में यह आवश्यक है कि हम महत्वपूर्ण गुणों का छात्रों में बीजारोपण करें, उन्हें पल्लवित करें लेकिन  कई बार देखने में आता है कि कुछ छात्रों द्वारा बारंबार असत्य  बोला जाता है जो कि स्पष्ट रूप  से उस डर का द्योतक  है  कि उनमें सत्य का सामना करने का साहस उत्पन्न नहीं हुआ। यह साहस छात्रों से परस्पर वार्तालाप करके और प्रोत्साहित करके कभी-कभी छात्रों के सामने अपने  द्वारा की गई किसी त्रुटि को स्वीकार करके, उनमें सत्य बोलने का साहस पैदा कर सकते है।

सम्मान वह गुण है जिसमें एक व्यक्ति किसी के प्रति आदर पूर्वक व्यवहार करता है जिसमें उसके प्रति श्रद्धा होती है। किसी के प्रति मन में सम्मान तब उत्पन्न होता है जब वह उसके प्रति समर्पित हो जाते हैं ।यह उसमें दयालुता, उत्तरदायित्व और आध्यात्मिकता की भावना भी उतपन्न करता है । जैसा कि एक भक्त का भगवान के प्रति, एक शिष्य का गुरु के प्रति होता है । सम्मान ऐसा भाव है जो समानुपाती रूप से कार्य करता है। जितना अधिक आप दूसरों को सम्मान देते हैं, उतना ही अधिक सम्मान आप प्राप्त करते हैं

यदि हम किसी की भावनाओं, विचारों और भिन्न धार्मिक मत का आदर करते हैं तो हमें भी दूसरों द्वारा सम्मान स्वत ही प्राप्त हो जाता है । हमें पर्यावरण के प्रति श्रद्धा रखनी चाहिए क्योंकि यह हमें जीवन प्रदान करता है। सम्मान की यह शृंखला हमें समाज और समुदाय से जुड़ने में सहायता करती है जो कि उत्तरोत्तर एक अटूट संबध में बदल जाती है
Rajeshwari Rathod
The Fabindia School, Bali

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