ईमानदारी और सम्मान: सुरेश सिंह नेगी


मानव जीवन में ईमानदारी का होना अति आवश्यक हैं।  अक्सर यह देखा गया हैं, कि जो इन्सान ईमानदार  होता है। वह अपने कर्तव्यों के लिए भी उतना ही जागरूक होता हैं जितना कि वह अपने अधिकारों को लेकर होता है। 

ईमानदारी के चरित्र का निर्माण पूरी तरह से व्यक्ति के पारिवारिक मूल्यों और उसके आस पास के वातावरण पर निर्भर करता है। अपने बच्चों के सामने ईमानदार व्यवहार और चरित्र दिखाने वाले माता-पिता का उनके  बच्चों पर गहरा प्रभाव पड़ता  है।

इसलिए घर और विद्यालय एक बच्चे के लिए उसके बढ़ते समय से ईमानदारी विकसित करने के लिए सबसे अच्छी जगह हैं। ईमानदारी को व्यावहारिक रूप से भी विकसित किया जा सकता है, जिसके लिए उचित मार्गदर्शन, प्रोत्साहन, धैर्य और समर्पण की आवश्यकता होती है।

आधुनिक समय में ईमानदारी एक आवश्यक आवश्यकता है। यह सबसे अच्छी आदतों में से एक है जो किसी व्यक्ति को प्रोत्साहित करती है और उसके जीवन में किसी भी कठिन परिस्थिति को हल करने और संभालने के लिए पर्याप्त सक्षम बनाती है। ईमानदारी जीवन में किसी भी बाधाओं का सामना करने और लड़ने की हमारी इच्छा शक्ति को मजबूत करने में उत्प्रेरक का काम करती है।

आदर, जिसे सम्मान भी कहा जाता है, एक सकारात्मक भावना या क्रिया है जिसे किसी महत्वपूर्ण चीज के प्रति दिखाया जाता है। यह अच्छे या मूल्यवान गुणों के लिए प्रशंसा की भावना व्यक्त करता है और यह उनकी आवश्यकताओं या भावनाओं के लिए देखभाल, चिंता या विचार का प्रदर्शन करके किसी को सम्मानित करने की प्रक्रिया भी है।

कुछ लोग दूसरों की सहायता करके या महत्वपूर्ण सामाजिक भूमिका निभाकर व्यक्तियों का सम्मान अर्जित कर सकते हैं। "सुप्रभात," कहना केवल विनम्र नहीं है। बल्कि यह एक व्यक्ति के द्वारा दूसरे व्यक्ति के प्रति एक सम्मान की भावना है।
अतः सबसे पहले अपना फिर अपने माता-पिता, मातृ-भूमि, अपने आस-पास की चीजों का और उस जगह का सम्मान करें जहाँ पर आप रहते हैं।
   Suresh Singh Negi
The Fabindia School, Bali

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