सहनशीलता और खुशी: सुरेश सिंह नेगी


सहनशीलता एक ऐसा सत्य है, जिससे प्राय: सभी लोगों को अपने जीवनकाल में रूरू होना पड़ता है। सहनशील होना एक गुण है, जिससे जीवन का वास्तविक विकास होता है। आज के इस भौतिकवादी दौर में हमें अध्ययन करने, पढ़ाने और सहनशीलता का अभ्यास कराने की और इसे अपने बच्चों में, शिक्षा और अपने स्वयं के उदाहरण दोनों के माध्यम से स्थापित करने की आवश्यकता  है। सहनशीलता कोई पकड़ नहीं है, लेकिन यह एक गुणवत्ता है। जिसे हमें संजोना है और इसका लगातार अभ्यास करते रहना है।

हर पाठ के साथ हम यह सीखते हैं कि हमें एक निर्णय लेना पड़ेगा,  जो कि हमारे भविष्य को निर्धारित करेगा। लेकिन हम यह भी जानते हैं कि हम भविष्य को देखकर के ही सीख सकते हैं, कि केवल अतीत या वर्तमान से।

परिवर्तन केवल हमारे हाथों से होता है। हमें उस शक्ति की आवश्यकता है, जो उस घृणा और असहनशीलता को दूर कर सके। हमारा काम एक ऐसा वातावरण तैयार करना है, जिसमें लोग अपने सपनों और महत्वाकांक्षाओं को प्राप्त कर सकें, अपनी खुशी का निर्माण कर  सके  और आनंद ले सके।

इतिहास की सुबह से, खुशी वह सब है जो मानवता ने मांगी है। अरस्तू ने कहा कि राज्य एक जीवित प्राणी है जो व्यक्तियों के लिए नैतिक पूर्णता और खुशी की उपलब्धि की तलाश में विकसित होता है।

खुशी पर ध्यान देना संभव है और यह पूरी तरह से उचित है। खुशी को मापा जा सकता है। इसके अलावा, इसे विकसित भी किया जा सकता है, और इसकी उपलब्धि भौतिक उद्देश्यों से जुड़ी है। अध्ययनों से पता चलता  है कि खुशहाल लोग अधिक उत्पादन करते हैं, लंबे समय तक रहते हैं, और अपने समुदायों और देशों में बेहतर आर्थिक विकास करतें  हैं।

सहनशीलता का गुण जाने से दोस्तों और पड़ोसियों के बीच में खुशी का माहौल होता है। जिससे जल्दी से तनाव या क्रोध नहीं पाता। इसलिए सहनशील बनकर निरन्तर अपने लक्ष्य की ओर आगे बढ़ते रहना  चाहिए।
Suresh Singh Negi
The Fabindia School, Bali

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