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परवाह और समझदारी: आयशा टॉक


परवाह का अर्थ है- किसी की सुविधा का ख्याल रखना, किसी की चिंता करना । उदाहरण के लिए एक माँ दुनिया में सबसे ज्यादा परवाह अपने बच्चों की करती है। वह किसी भी हालत में उन्हें दुखी और परेशान नहीं देख सकती है। ठीक इसी तरह एक अध्यापक भी अपने विद्यार्थियों के लिए बहुत ही चिंतित रहते है। उनकी बहुत परवाह करते हैं। उनको हमेशा यही चिंता रहती है, कि जो भी सिखाया जाये, वो सारे बच्चों को आना चाहिए।

इसी प्रकार विद्यार्थियों को भी अपने साथ में पढ़ने वाले अन्य विद्यार्थियों की चिंता करनी चाहिए उनको सहयोग देना चाहिए। बच्चों को बचपन से ही कोमल हृदय वाला बनाना चाहिए। उन्हें सिखाया जाना चाहिए कि जो व्यक्ति हमारी परवाह करता है, हमें भी उनकी परवाह करनी चाहिए। हमें कोई भी ऐसी बात या ऐसा काम नहीं करना चाहिए जिससे किसी दूसरे व्यक्ति को कष्ट का अनुभव हो। यह बातें बच्चों को विद्यालय और घर दोनों ही जगहों पर सिखाई जा सकती है। 

समझदारी का अर्थ है- दूरदर्शी, विवेकशीलता का अपनाया जाना। आमतौर पर लोग तात्कालिक लाभ को ही सब-कुछ मान लेते हैं और उसके लिए बुरी बातों को भी अपना लेते हैं। बल्कि जो दूरदर्शी व्यक्ति होंगे वो बहुत ही समझदारी से सोच-समझ कर कोई भी निर्णय लेते हैं। कभी भी बिना सोचे-समझे जल्दबाजी में कोई भी निर्णय नहीं लेना चाहिए। इसके परिणाम अच्छे नहीं होते हैं।

जो समझदार व्यक्ति होगा वह खुद का स्वार्थ कभी नहीं देखता है। बल्कि उसका हमेशा यहीं प्रयास रहता है कि मेरी वजह से किसी को किसी प्रकार की कोई हानि न उठानी पड़े। समझदार व्यक्ति कभी भी बुरी बातों को नहीं अपनाते हैं और ना ही किसी बुरे कार्य में नासमझ व्यक्ति की कोई मदद करते हैं। उनका प्रयास रहता है कि वह कोई व्यक्ति अगर किसी गलत राह पर जा रहा है तो उसे समझा कर गलत राह पर जाने से रोकने का प्रयत्न  करें। समझदार व्यक्ति हमेशा अपनी समझदारी के बल पर ही जीतता है। वह हर परिस्थिति को अपनी समझदारी से हल कर लेते हैं। 
Ayasha Tak
The Fabindia School, Bali

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