नई सोच - सुरेश सिंह नेगी

दुनिया में सीखाने वालों की कमी नहीं है,बस कमी है तो सीखने वालों की। हर एक इंसान के पास इतना समय भी
नहीं है, कि वह प्रयोग करके सीखें लेकिन जो लोग उस क्षेत्र से जुड़े हैं, वो  प्रयोग करके सीखतें हैं। और वे अपने इस अनुभव को  दूसरों के साथ साझा करतें हैं।  इस तरह  से ज्ञान  लगातार आगे की ओर बढ़ता ही चला जाता है।  इसमें सीखने वालों के बजाय सीखाने वालों का ज्ञान ज्यादा बढ़ता है। 

 इसलिए हर समय दूसरों को सीखाने की कोशिश करते रहना चाहिए। इस कोविद -१९ के दौर में जंहा कुछ लोग अपने घरों में आराम कर रहे थे । वंही दूसरी ओर कुछ लोग इस समय में कुछ नया सोच रहे थे।  उन्ही में से एक वर्ग सीखने और सीखाने वालों का आता है।  सीखाने  वालों ने सेमिनार आयोजित करें और सीखने वालों ने उनमे भाग लिया। उन लोगों  में से मैं भी एक हूँ। 

सीखने की इस प्रक्रिया में बहुत सी चीजों को हम भूल जातें हैं, लेकिन उनमे से कुछ चीजें ऐंसी भी होती हैं, जो कि  हमारे दिमाग में  एक अलग सी जगह बना लेती है। उन चीजों में से जिस चीज ने मुझे सोचने के लिए मजबूर कर दिया वो मै आप लोंगो से भी साझा करना चाहता हूँ। 

हम लोग गणित में संख्याओं को जोड़ना,घटाना और गुणा  दाँयी   तरफ से बाँयी  तरफ को करते हैं जबकि  भाग को बाँयी  तरफ से दाँयी  तरफ को । यंहा पर मैने भाग को बाँयी  ओर  से दाँयी ओर को हल करके दिखाया है। मुझे उम्मीद है, कि यह तरीका आप को भी मेरी तरह ही सोचने लिए मजबूर कर देगा।

सुरेश सिंह नेगी
द फैबइंडिया स्कुल
sni@fabindiaschools.in

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