ख़ुशी और सहनशीलता: कुसुम डांगी


हमारे  जीवन  में  हमारे  पास  जो  भी  हैं।  उसको  लेकर  हमारे  अन्दर  सकारात्मक  सोच  आती हैं या  हम  अपने  जीवन  से  संतुष्ट हैं वो  ही  खुशी  हैं।  इंसान  लम्बे  समय  तक  अपने  लक्ष्य को  प्राप्त  करने  के  लिए  काम  करता  हैं और  यदि  वो  उस  कार्य  में  सफल  हो  जाता  हैं तब हमारे  अन्दर  खुशी  उत्पन्न हो  जाती  हैं। खुशी  को  सकारात्मक  सोच  से  जीवन  में  लाया  जा सकता  है।
प्रतिकूल  पर्यावरणीय  परिस्थितियों  को  सहन  करने  के  लिए  शक्ति  या  क्षमता  ही  सहनशीलता हैं।

अपने  अन्दर  से  नकारात्मक  सोच  को  निकाल  कर  सकारात्मक  सोच  उत्पन्न  करके  तथा  किसी  भी  कार्य  को धैर्य  से  करके  अपने  जीवन  में  बदलाव लाया  जा  सकता  हैं। इसके   लिए  जरुरी  है  कि  हम  अपनी  जिम्मेदारियों  को  समझे तथा  सही  और  गलत में  अन्तर   समझे  तथा  बालकों  को  भी  ऐसे  काम  दिए  जाए  जिससे  उनके  अन्दर  जिम्मेदारी , धैर्य,  लाया  जा सकता  है।  इसके  लिए  जरूरी  है  कि  उनके  ऊपर  विश्वास  किया जाए  अगर  कोई  बालक  असफल  हो  जाता  हैं  तो  उसे समझाना चाहिए कि बार - बार  परिश्रम  करके  सफल  हो  सकते हैं  और   किसी  भी  कार्य  को  करने  में जल्दबाजी  ना  करे  तथा  धैर्यपूर्वक  करके  सफल  हो  सकते  हो  शिक्षा  में इसका  बहुत  महत्व हैं।
Kusum Dangi
The Fabindia School, Bali

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